मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय के एक सर्वे में अध्ययनकर्ताओं ने 1258 फेसबुक उपयोगकर्ता के बीच एक सर्वे किया। सर्वे के दौरान अधिकांश उपयोगकर्ताओं को एक वर्ष के लिए अपना फेसबुक अकाउंट बंद करने के लिए उन्हें प्रत्येक यूजर को 71 हजार रुपए (1000 डॉलर) देने की पेशकश की। लेकिन वे यह देखकर हैरान रह गए कि ज्यादा से ज्यादा रकम देने का लालच देने के बावजूद केवल 20 फीसदी प्रतिभाागी ही इसके लिए राजी हुए। प्रतिभागियों का कहना था कि इन पैसों से खरीदी सीमित खुशियों से कहीं ज्यादा आनंद उन्हें फेसबुक पर मिलता है वह भी बिना कोई पैसा खर्च किए। क्योंकि यह नि-शुल्क है। अर्थशास्त्री इसे ‘कन्ज्यूमर सरप्लस’ or consumer surplus कहते हैं।
फेसबुक के दुनियाभर में 200 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं। यह दुनिया की आबादी का एक तिहाई भाग है। सर्वे के अनुसार दुनिया भर में यूजर औसतन 35 मिनट प्रतिदिन फेसबुक पर बिताता है। पूरी दुनिया के यूजर का फेसबुक पर बिताए गए एक दिन के समय की गणना करें तो यह प्रतिदिन 100,000 साल जितना समय है। यूजर विवाद, गोपनीयता और समय की बर्बादी को लेकर भी चिंतित नहीं दिखाई दिए।फेसबुक के संदर्भ में नवीन तकनीकों के 50 साल के डाटा का अध्ययन करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री विलियम डी. नॉर्डहास कहते हैं कि किसी भी नई तकनीक के आमतौर पर उपभोक्ताओं की पहुंच में आने के बाद तकनीक अपनी लागत की केवल 5 फीसदी कमाई ही इसे बनाने वाले व्यक्ति को वापस देती है।
इसके वर्तमान बाजार निवेश की बात करें तो फेसबुक का मूल्य लगभग 14 हजार (200 डॉलर) प्रति उपयोगकर्ता है। यह केवल एक वर्ष में फेसबुक से प्राप्त अध्ययन में औसत प्रतिभागी के मूल्य का लगभग पांचवां हिस्सा है। जिसका अर्थ है कि फेसबुक अपने शेयरधारकों की तुलना में अपने यूजर के लिए अधिक मार्केट वैल्यू बनाता है। क्यूट वीडियो और स्टेटस अपडेट्स बहुत सारी नौकरियों का सृजन नहीं कर सकते हैं लेकिन हमें इस तथ्य पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि फेसबुक जैसी मुफ्त ऑनलाइन सेवाओं ने हम सभी के लिए एक अच्छी मार्केट वैल्यू पैदा की है।