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दिन और रात में हुई वारदात के स्थान व समय अनुसार भी तय होती है सजा व जुर्माना

दिन और रात के समय की गई लूट की वारदात में सजा का प्रावधान बदल जाता है।

जयपुरDec 07, 2020 / 11:37 am

Mohmad Imran

नियम और कानून हमारी सुरक्षा और अपराधों से रोकथाम के लिए बनाए गए हैं। लेकिन भारत समेत बहुत से देशों में ऐसे अजीबो-गरीब कानून हैं जिन्हें जानने के बाद इन पर यकीन कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 392 के तहत लूट का अपराध किए जाने की सजा तय करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्यास्त के बाद हाइवे पर की वारदात में कोर्ट द्वारा तय सजा अलग होती है और दिन के समय की गई लूट की वारदात में सजा का प्रावधान बदल जाता है।

14 साल का कारावास:
लूट एक गैर-जमानती अपराध है। अगर अपराध दिन में हुआ है तो 10 वर्ष की सजा हो सकती है। अगर अपराध जैसे लूट की वारदात सूर्यास्त के बाद किसी राजमार्ग पर हुआ है तो इस अपराध के लिए दोषी को कठोर सज़ा के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हाइवे पर रात में किए जाने पर 14 साल की कठोर सजा हो सकती है।

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