आओ जन-मन ….
सूरज की किरणें भी देखो,
धरा धूल पर चमक रहीं,
पानी की कुछ बूंदें आईं,
वो मोती-सी दमक रहीं। सागर की लहरें भी देखो,
कितना कल-कल करती हैं,
मृग के चंचल छोने भी,
पल-पल अंगड़ाई लेते हैं।
सूरज की किरणें भी देखो,
धरा धूल पर चमक रहीं,
पानी की कुछ बूंदें आईं,
वो मोती-सी दमक रहीं। सागर की लहरें भी देखो,
कितना कल-कल करती हैं,
मृग के चंचल छोने भी,
पल-पल अंगड़ाई लेते हैं।
मेघ गरज करते हैं इतने,
तारों की बारात लिए,
और शशि भी शीतलता से,
मन का ताप हरा करता।
आओ जन-मन … पढि़ए एक और कविता सागरिका
आखिर ऐसा क्यों होता है? मुट्ठी भर खाने को तरसता है कोई,
थाल भरे व्यंजनों को गटकता है कोई,
आखिर ऐसा क्यों होता है?
किसान पसीना बहाकर अन्न उगाता है
पर अक्सर भूखा रह जाता है।
राजगीर बड़ी-बड़ी इमारतें,महल,मकान बनाता हैं,
पर सड़क पर जीवन बसर करता है।
आखिर ऐसा क्यों होता है?
तारों की बारात लिए,
और शशि भी शीतलता से,
मन का ताप हरा करता।
आओ जन-मन … पढि़ए एक और कविता सागरिका
आखिर ऐसा क्यों होता है? मुट्ठी भर खाने को तरसता है कोई,
थाल भरे व्यंजनों को गटकता है कोई,
आखिर ऐसा क्यों होता है?
किसान पसीना बहाकर अन्न उगाता है
पर अक्सर भूखा रह जाता है।
राजगीर बड़ी-बड़ी इमारतें,महल,मकान बनाता हैं,
पर सड़क पर जीवन बसर करता है।
आखिर ऐसा क्यों होता है?
मजदूर दिन रात मेहनत करता है
फिर भी गरीब रहता है,
मालिक सारा दिन आराम फरमाता है
पर रईस कहलाता है,
आखिर ऐसा क्यों होता है?
धर्म के नाम पर जो हिंसा फ़ैलाते हैं,
वो स्वयं को ईश्वर का दूत बताते हैं
धर्म को कर्म मानकर चलते हैं
वो निरा ***** कहलाते हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता हैं?
आजीवन मेहनत कर भी कुछ लोग
जिंदगी की दौड़ में पीछे रह जाते हैं,
वास्ता किस्मत का देकर
जीवन में आगे बढ जाते हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता है?
प्रतिभा के धनी होते हुए भी दीन छात्र
उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश नहीं पाते हैं,
फिसड्डी होने पर भी रईसजादे
मनचाही डिग्री हासिल कर लेते हंै
आखिर ऐसा क्यों होता है?
फिर भी गरीब रहता है,
मालिक सारा दिन आराम फरमाता है
पर रईस कहलाता है,
आखिर ऐसा क्यों होता है?
धर्म के नाम पर जो हिंसा फ़ैलाते हैं,
वो स्वयं को ईश्वर का दूत बताते हैं
धर्म को कर्म मानकर चलते हैं
वो निरा ***** कहलाते हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता हैं?
आजीवन मेहनत कर भी कुछ लोग
जिंदगी की दौड़ में पीछे रह जाते हैं,
वास्ता किस्मत का देकर
जीवन में आगे बढ जाते हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता है?
प्रतिभा के धनी होते हुए भी दीन छात्र
उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश नहीं पाते हैं,
फिसड्डी होने पर भी रईसजादे
मनचाही डिग्री हासिल कर लेते हंै
आखिर ऐसा क्यों होता है?
आजाद देश के नागरिक पक्षपात के
चपेट में तड़पते रह जाते हैं
कानून से खेलने वाले मनमानी कर जाते हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता हैं?
चपेट में तड़पते रह जाते हैं
कानून से खेलने वाले मनमानी कर जाते हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता हैं?