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चेन्नई

Tamilnadu: घर पर तैयार करें पौषक तत्वों से भरपूर फास्ट फूड

राष्ट्रीय फास्ट फूड दिवस (National fast food day) के मौके पर विशेष परिचर्चा, तली चीजों की बजाय ताजे फल (Fress Fruits) , अंकुरित अनाज सरीखे पौष्टिक खाद्य पदार्थ हों शामिल

चेन्नईNov 16, 2019 / 03:18 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Preparing fast food at home can be a better option

Preparing fast food at home can be a better option

चेन्नई जब भी हमारा मन फास्ट फूड खाने के लिए करें तो हम अपने घर पर ही इसे तैयार करवाएं। इससे दोहरा फायदा भी मिलेगा यानी हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रह सकेगा वहीं बचत भी होगी। बाजार में मिलने वाले फास्ट फूड में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री कई बार काफी पुरानी होती है। लेकिन घर में फास्ट फूड तैयार करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। फ्रेश भी मिलेगा और जेब पर अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ेगा।
राष्ट्रीय फास्ट फूड दिवस के मौके पर शनिवार को राजस्थान पत्रिका कार्यालय में फास्ट फूड हमारी सेहत के लिए कितना जरूरी विषय पर आयोजित परिचर्चा में प्रतिभागियों ने कुछ ऐसी ही राय रखी।
उनका कहना था कि फास्ट फूड के सेवन से आपका पेट तो भर जाता है लेकिन पौषक तत्वों की कमी के कारण पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन आपके शरीर में नहीं पहुंच पाते हैं।
बन रहा थकान का कारण
फास्ट फूड का इतिहास प्रथम विश्व युद्ध से शुरू होता है। 1921 में पहली बार एक अमेरिकी कंपनी ने फास्ट फूड के तौर पर हैमबर्गर की शुरुआत की। जो 1950 के आते-आते पूरे अमेरिका में पोपुलर हो गया। 1951 में वेब स्टार डिक्शनरी ने फास्ट फूड शब्द को डिक्शनरी में जगह दी। इसके बाद जापान एवं बाद में वहां से भारत में फास्ट फूड का कल्चर आया। आज पिज्जा, बर्गर, सैंडविच समेत सैकड़ों वैरायटी फास्ट फूड के मैन्यु में शामिल हो चुकी है।
फास्ट फूड खाने वाले व्यक्तियों को थकान जल्दी होने लगी है।
सोचने-समझने की क्षमता पर असर
आजकल बच्चे एवं युवा स्कूल-कालेज में टिफिन में किस तरह का खाना लाते हैं यह शायद किसी से छिपा नहीं है। फास्ट फूड थकान एवं तनाव का कारण बनते हैं। इससे सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है। अवसाद व डिप्रेशन की समस्या भी बढ़ती है। आजकल बच्चे पोषक तत्वों के लिए नहीं, बल्कि जीभ का स्वाद बढ़ाने के लिए भोजन करते हैं। ऐसे में हर मां यह चाहती है कि उसका बच्चा अपने आहार में कुछ ऐसा शामिल करें जो उसकी सेहत को बिगाडऩे की जगह बनाए रखें। परिचर्चा का संयोजन राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने किया।
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मैदा एवं शुगर को करें कम
हम मैदे एवं शुगर से बनी चीजों को कम करें। इनके स्थान पर पौष्टिक भोजन को जीवन में अधिक स्थान दें। फास्ट फूड कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है। हम धीरे-धीरे बाहर खाने की प्रवृत्ति को कम करें। फास्ट फूड वजन बढा रहा है। हमें आलसी बना रहा है। बीमारियों को तो आमंत्रण दे ही रहा है। हम जो बाहर से फास्ट फूड ले रहे हैं उनसे पेट तो भर जाएगा लेकिन पौष्टिकता का अभाव रहेगा। इसी फास्ट फूड को हम घर पर पौष्टिक रूप में तैयार कर सकते हैं। जरुरत लाइफ स्टाइल में बदलाव लाने की है। इसकी शुरुआत हमें अपने घर से करनी होगी।
डॉ. संतोष कुमारी, चिकित्सक।
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पौष्टिक भोजन एवं योग दोनों का सामंजस्य जरूरी
योग हमारे मन, शरीर एवं स्वाास्थ्य सभी का ध्यान रखता है। पौष्टिक भोजन के साथ ही व्यायाम या योग इनका सामंजस्य होगा तभी हमारा शरीर भी स्वस्थ रह सकेगा। बच्चों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करें कि वो बाहर जाकर खेलें। सारे दिन घर में एसी से बाहर नहीं निकल पाते लेकिन जब खुली हवा एवं सूरज की रोशनी मिलेगी तो शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा मिल सकेगी। योग एव व्यायास के माध्यम से न केवल हम शरीर को तन्दुरुस्त रख पाएंगे बल्कि मानसिक रूप से भी हम मजबूत होते जाएंगे। फास्ट फूड में शरीर को हैल्थी बनाने वाली चीजों को समाहित किया जाएं।
वंदना अग्रवाल, योग विशेषज्ञ।
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फास्ट फूड बना रहा आलसी
फास्ट फूड बच्चों का बचपन छीन रहा है। बचपन में ही अस्थमा समेत कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही है, जो पहले नहीं देखने को मिलती थी। इसमें कहीं न कहीं फास्ट फूड का जरूर असर है। टीवी एवं सीरियलों का असर भी बाल मन पर बहुत ज्यादा रहता है। इसमें देखकर भी बच्चे फास्ट फूड की तरफ प्रवृत्त हो रहे हैं। बल्कि हकीकत यह है कि बच्चे इनसे आधी-अधूरी जानकारी ही प्राप्त कर रहे हैं। वास्तविकता से बच्चे अनभिज्ञ रह रहे हैं। भोजन के तुरन्त आनलॉइन ऑर्डर की प्रवृत्ति से भी हम आलसी बन रहे हैं और इस तरह के फास्ट फूड को बढ़ावा दे रहे हैं। इन्हें कम किया जाना चाहिए। हमारी भारतीय संस्कृति में जो चीजें बताई गई हैं हम यदि उनका अनुसरण करें तो ताउम्र स्वस्थ रह सकते हैं। फास्ट फूड के कारण घरों का बजट भी बिगड़ रहा है।
बबीता बैद, संयोजिका, संस्कार अकादमी।
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तली हुई चीजों की जगह ले अंकुरित आहार
फास्ट फूड का सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ रहा है। बच्चे व बड़े सभी इसके सेवन से बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं। फास्ट फूड सिर्फ पेट भरने का काम कर रहा है। हर ओर से यह शरीर को नुकसान ही पहुंचा रहा है। हमारी कोशिश यही रहे कि हम फास्ट फूड़ से दूर ही रहें। बच्चों को भी फास्ट फूड की बजाय घर के खाने की ओर प्रेरित करें। बच्चों के टिफिन में अभिभावकों की प्रमुख भूमिका रहती है, इसलिए शुरुआत से ही सतर्कता बरतनी जरूरी है। हम तली हुई चीजों की जगह अंकुरित दालें, फल एवं ड्राई फ्रुट्स को काम में ले सकते हैं। इससे पौष्टिकता भी मिलती रहेगी।
रेखा रॉय, लेखिका एवं कवयित्री।
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