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सावधान! दुनिया भर में नदियों की धारा का प्रवाह लगातार कम हो रहा है

सावधान! दुनिया भर में नदियों की धारा का प्रवाह लगातार कम हो रहा है
 
जिस तेजी से इस भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है वे स्वाभाविक रूपा से उसी तेजी से इसका संचय नहीं हो पा रहा है।

जयपुरOct 21, 2019 / 04:56 pm

Mohmad Imran

सावधान! दुनिया भर में नदियों की धारा का प्रवाह लगातार कम हो रहा है

सावधान! दुनिया भर में नदियों की धारा का प्रवाह लगातार कम हो रहा है

मानव निर्मित आपदाओं की सूची में एक और खोज की गई है, जो हमारे पैरों के नीचे ही मौजूद है। यह नई आपदा है दुनिया भर में मौजूद नदियों का प्रवाह। वैश्विक रूप से भूमिगत जल का 70 फीसदी हिस्सा कृषि के लिए उपयोग किया जाता है, जबकि बाकी का 30 फीसदी हिस्सा हमारी प्यास बुझाता है। लेकिन औद्योगिक विकास की कीमत पृथ्वी के नीचे चट्टानों में एकत्र इन जल निधियों को चुकाना पड़ रहा है। दरअसल जिस तेजी से इस भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है वे स्वाभाविक रूपा से उसी तेजी से इसका संचय नहीं हो पा रहा है। जलवायु परिवर्तन के साथ ही दुनियाभर में जल संकट पर भी हमें ध्यान देने की जरुरत है। हाल ही जारी एक नए अध्ययन में कहा गया है कि घटते भूजल के कारण नदियों का प्रवाह और जल स्तर भी लगातार गिर रहा है।
सावधान! दुनिया भर में नदियों की धारा का प्रवाह लगातार कम हो रहा है
सिकुड़ रहे हैं धरती के एक्वीफर
सिकुड़ते एक्वीफरों (धरातल के नीचे चट्टानों का ऐसा जाल जहां भूजल एकत्रित होता है) की तरह, यह जल ही मानव जरुरतों का सबसे बड़ा स्रोत है। बारिश और वॉटर हार्वेस्टिंग से संरक्षित किया गया पानी जमीन में रिसता हुआ इन एक्विफरों में जमा ही नहीं हो पा रहा है जो वैज्ञानिकों की एक नई चिंता बन गया है। वॉटर शेड ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां बारिश और अन्य बाहरी स्रोत से आने वाला पानी जमीन में बनी शिराओं से होता हुआ पानी के एक बड़े भंडार में एकत्र होता है। भूजल इसमें सबसे निचली पायदान पर होता है।
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2050 तक आधा रह जाएगा भूजल स्तर
जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार साल 2050 तक, आधे से अधिक वाटरशेड जहां भूजल को पंप किया जाता है, वहां नदी के प्रवाह में गिरावट आ सकती है। कैलिफोर्निया के सेंट्रल वैली, मिडवेस्टर्न अमरीकी उच्च मैदानों, ऊपरी गंगा और दक्षिण एशिया में सिंधु जैसे जलक्षेत्रों में पहले से ही भूजल कम हो रहा है। जबकि 2019 में सेंट्रल अमरीका में रेकॉर्ड बाढ़ आई। अध्ययन में 1960 तक के आंकड़ों का उपयोग किया गया है और वर्ष 2100 तक भूजल-पम्पिंग प्रभावों का अनुमान लगाया गया है। विश्व संसाधन संस्थान के वैश्विक जल कार्यक्रम के निदेशक बेट्सी ओटो कहते हैं कि ये सिस्टम आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब आप भूजल को पंप करते हैं तो वास्तव में सहायक नदियों से पानी पंप करते हैं।
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21 फीसदी पानी का कर चुके उपयोग
अध्ययन के लेखकए नीदरलैंड, जर्मनी, कनाडा और अमरीका के विश्वविद्यालयों के शीर्ष शोधकर्ता हैं जिनका कहना है कि जमीन से पानी पंप करने के प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत है क्योंकि हम अपनी जरुरत का 21 फीसदी से ज्यादा यानी कुल मिलाकर आधो जल भंडारों का दोहन कर चुके हैं। ऐसे में अब हमें एक सीमा तय करनी होगी वर्ना आने वाले सालों में हमारा पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह गड़बड़ा जाएगा। अमरीका और भारत में पहले से ही जल संकट नजर आने लगा है। यहां अत्यंत गर्म जलवायु है और ज्यादातर लोग कृषि सिंचाई के लिए भूजल पर निर्भर हैं क्योंकि नदियां पर्याप्त जल की आपूर्ति नहीं करती हैं।
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