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अलवर की पहचान सरिस्का, यहां के पर्यटन से संरक्षित हो रहा पर्यावरण

शहर से 35 किलोमीटर दूर सरिस्का देश-दुनिया में छाया: बाघ, पैंथरों की पर्यावरण संतुलन में बड़ी भूमिका

Jun 05, 2023 / 01:44 am

Pradeep

अलवर की पहचान सरिस्का, यहां के पर्यटन से संरक्षित हो रहा पर्यावरण

अलवर की पहचान सरिस्का, यहां के पर्यटन से संरक्षित हो रहा पर्यावरण

अलवर. टाइगर रिजर्व अलवर जिला ही नहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर के लिए भी महत्वपूर्ण है। सरिस्का के बिना अलवर का पर्यटन ही नहीं पर्यावरण संतुलन का सपना भी अधूरा है।
बाघ परियोजना सरिस्का अलवर जिले का महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र है। यहां हर साल करीब 50 हजार पर्यटक देश- विदेश से सैर के लिए आते हैं। सरिस्का के बाघों की देश भर में ख्याति रही है। इतना ही नहीं 1213 वर्ग किलोमीटर में फैले टाइगर रिजर्व सरिस्का की हरियाली दिल्ली और पूरे एनसीआर में अनोखी है। यही कारण है कि सरिस्का को एनसीआर का ऑक्सीजन बैंक भी कहा जाता है।
पर्यावरण संतुलन में बड़ा रोल : बाघ परियोजना सरिस्का का अलवर जिला ही नहीं दिल्ली व एनसीआर में पर्यावरण संतुलन में बड़ा रोल है। कारण है कि पूरे एनसीआर में सरिस्का इकलौता टाइगर रिजर्व है। यहां के पेड़ पौधे और हरियाली कार्बनडाई आक्साइड सोख ऑक्सीजन का भरपूर मात्रा में उत्सर्जन करते हैं, साथ ही अन्य जहरीली गैस व कार्बन को भी सोखने का कार्य करते हैं। इसका लाभ पर्यावरण संतुलन के रूप में मिलता है।
सप्ताह के अंत में फुल रहता पर्यटन सीजन : सप्ताह के अंत में सरिस्का में पर्यटकों का सीजन फुल रहता है। यानी सभी जिप्सी व कैंटर शनिवार व रविवार को सुबह व शाम की पारी में फुल चलते हैं। वर्किंग दिवस को पर्यटकों की संख्या में कमी आती है। वीकेंड में प्रतिदिन 250 से 300 पर्यटक पहुंचते हैं, वहीं अन्य दिनों में 70 से 100 के बीच पर्यटक आते हैं।
कोरोना में निभाई बड़ी उपयोगिता
कोरोनाकाल में जब लोग ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे थे, ऐसे में सरिस्का बाघ परियोजना की हरियाली लोगों के लिए ऑक्सीजन की कमी पूरी करने का कार्य कर
रही था।
दिलाई पर्यटन जिले की पहचान
टाइगर रिजर्व सरिस्का ने अलवर को पर्यटन जिले की पहचान दिलाई। यहां 28 बाघ एवं 200 से ज्यादा पैंथर, तीन भालू हैं। हजारों सांभर, चीतल एवं अन्य वन्यजीव सरिस्का का आकर्षण हैं। बाघ, पैंथर व अन्य वन्यजीवों को देखने देश- विदेश से हर साल 50 हजार से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं।

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