ऐसे बनीं बदलाव चेहरा
उन्होंने 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) में एक याचिका दायर की जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संकट से निपटने में राज्यों की विफलता उनके बाल अधिकारों का उल्लंघन है। यह बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के लिए तीसरे वैकल्पिक प्रोटोकॉल के माध्यम से दायर किया गया था। यह एक स्वैच्छिक तंत्र है जो बच्चों या वयस्कों को उनकी सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) से सीधे अपील करने की अनुमति देता है।
एक आपदा ने बदली ज़िंदगी
छह साल पहले रिद्धिमा पांडे अपने परिवार के साथ नैनीताल से हरिद्वार शिफ्ट हो गईं। हर साल जुलाई में यहां कंवर यात्रा नामक एक त्योहार होता है जो पवित्र गंगा नदी के पास आयोजित होता है। लेकिन हाल ही में, इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं। लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण गंगा नदी के जैव संतुलन को खतरे में डाल दिया है। यहां अब सूखे से लेकर निम्न जल स्तर जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। उनका कहना है कि वे भविष्य बचाने के लिए लड़ रही हैं। 2013 में आई भयंकर बाढ़ ने भी उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। उनके पिता भी एक पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता हैं। अपनी याचिका में उन्होंने भारत सरकार (Government of India) को एक कार्बन बजट (Carbon Budget), नेशनल क्लाइमेट रिकवरी प्लान (National Climate Recovery Plan) बनाने और औद्योगिक प्रदूषण पर कारगर नीति लागू करने के लिए कहा है।