scriptप्रमुख विधा के रूप में उभरी है लघु कथा: डॉ. कच्छावा | Short story has emerged as a major genre: Dr. Kachhawa | Patrika News
खास खबर

प्रमुख विधा के रूप में उभरी है लघु कथा: डॉ. कच्छावा

प्रभा खेतान फाउंडेशन और ग्रासरूट फाउंडेशन की ओर से आज ‘आखर पोथी’ का आयोजन

Aug 22, 2021 / 10:38 pm

Rakhi Hajela

प्रमुख विधा के रूप में उभरी है लघु कथा: डॉ. कच्छावा

प्रमुख विधा के रूप में उभरी है लघु कथा: डॉ. कच्छावा


प्रभा खेतान फाउंडेशन और ग्रासरूट फाउंडेशन की ओर से आज ‘आखर पोथी’ का आयोजन किया गया। इसमे डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा की राजस्थानी भाषा में लिखी गई पुस्तक ‘अटकळÓ का विमोचन किया गया। पुस्तक के लेखक डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने कहा कि ‘अटकळ’राजस्थानी में मेरा दूसरा लघुकथा संग्रह है। इससे पहले 2006 में लघुकथा ठूंठ प्रकाशित हुआ था। लघुकथा इस दौर में प्रमुख विधा के रूप में सामने आई है। यह पाठक के ऊपर विशेष प्रभाव डालती है। मैं जब अपने आसपास घटित घटनाओं, विसंगतियों और संवेदनहीनता को अनुभव करता हूं तो लघुकथा लिखने की प्रक्रिया शुरू होती है। राजस्थानी लघुकथा में राजस्थानी शब्दों की चाशनी इनका स्वाद बढ़ाती है। लघुकथा समाज को संदेश देती है तो व्यंग्य भी करती है। लघुकथा का काम भटकते हुए लोगों को रास्ता दिखाने का है। संवेदनहीन होते समाज को संवेदनशील बनाना, मनुष्यता के मूल्यों की स्थापना लघु कथाओं का मूल स्वभाव है।
आशीष पुरोहित ने प्रस्तावना पढ़ते हुए बताया कि इस पुस्तक में लघु कथाओं का संग्रह है। वर्तमान में लघु कथाएं लोकप्रिय विधा के रूप में उभर रही हैं। भागदौड़ की जिंदगी के चलते लोगों के पास समय कम है और यह कथाएं गागर में सागर भरते हुए समाज को सकारात्मक संदेश देती है। यह लघुकथाएं लोगों को आकर्षित करती हैं। इनकी खासियत यह है कि कुछ कथाएं तो सात आठ 8 लाइनों में ही पूरी हो जाती है तो कई कथाएं एक पेज में है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कमल रंगा ने कहा किए इस पुस्तक में माटी की महक और भाषा की चहक है। लेखक ने अपने कथा शिल्प और लेखन से जीवन और परिवेश का सुंदर चितराम उकेरा है।
पुस्तक की समीक्षा करते हुए साहित्यकार डॉ.करूणा दशोरा ने कहा कि डॉ. कच्छावा ने इस पुस्तक को अपने गुरु भंवरसिंह सामौर और सुजानगढ़ के प्रसिद्ध समाजसेवी स्व. कन्हैयालाल डूंगरवाल को समर्पित की है। राजस्थानी के माने हुए साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने अपने समय की अनूठी लघुकथाएं बताते हुए कहा है कि इसमें प्रतीकों से पूरी बात कही जाती है। ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने प्रभा खेतान फाउंडेशन, श्रीसीमेंट और आईटीसी राजपूताना का आभार जताते हुए कहा कि आखर पोथी का आयोजन युवा लेखकों के लेखन को पाठकों के सामने लाने के लिए किया जाता है। राजस्थानी भाषा और साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए यह आयोजन किया गया है।

Home / Special / प्रमुख विधा के रूप में उभरी है लघु कथा: डॉ. कच्छावा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो