scriptसाइलेंट किलर आईएनएस ‘वेला’ अब समंदर में तैनात | Silent Killer INS VELA now in Sea to kill the enemy like China and Pak | Patrika News
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साइलेंट किलर आईएनएस ‘वेला’ अब समंदर में तैनात

साइलेंट किलर के रूप में आधुनिक और तबाही मचाने की ताकत के लिए जानी जाने वाली पनडुब्बी वेला को भारतीय नेवी में आज कमीशन किया गया है। आईएनएस वेला को नौसेनाध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह की मौजूदगी में कमीशन करवाया गया। स्टील्थ टैक्नोलॉजी से लैस इस पनडुब्बी को रडार को चकमा देने में माहिर माना जाता है।

जयपुरNov 25, 2021 / 12:37 pm

Swatantra Jain

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साइलेंट किलर आईएनएल वेला भारतीय नौ सेना में तैनात


जयपुर। भारतीय नौसेना ने आज चौथी स्कॉर्पीन क्लास की सबमरीन को कमीशन किया है। आईएनएस वेला (INS Bela) के शामिल होने से नौसेना की वॉर पावर को बढ़ावा मिलेगा। बता दें, प्रोजेक्ट 75 के तहत 6 पनडुब्बियों का निर्माण होना है, जिसमें से पहले ही 3 सबमरीन कमीशन की जा चुकी है और ये चौथी सबमरीन आज कमीशन की गई है। आईएनएस वेला को आधुनिक और तबाही मचाने की ताकत के लिए जाना जाता है। आईएनएस वेला को नौसेनाध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह की मौजूदगी में इसे कमीशन करवाया गया।
पनडुब्बी का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से किया है। ये सबमरीन एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी इकट्ठी करने, माइंस बिछाने के साथ-साथ निगरानी करने में भी सक्षम है। छह में से तीन पनडुब्बियों, कलवरी, खंडेरी, करंज को पहले ही कमीशन कर दिया गया है।
खास बात ये है कि इस सबमरीन में एडवांस एकॉस्टिक साइलेंसिंग टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है। रेडिएटिड नॉइस लेवल भी इसमें कम है। सबमरीन का स्वरूप हाइड्रो-डायनामिक है। सटीक गाइडेड निशाना लगाने की ताकत रखने वाली ये सबमरीन दुश्मन को अपंग बना सकती है।
आईएनएस वेला का पिछला अवतार 31 अगस्त, 1973 को कमीशन किया गया था और इसने 25 जून, 2010 को सेवामुक्त होने से पहले 37 वर्षों तक राष्ट्र की सेवा की थी। नौसेना ने एक बयान में कहा कि ‘वेला’ ताकतवर ताकत वाली समंदर के अंदर आक्रामक हमलों से तबाही मचाने में सक्षम है। इस सबमरीन से एक ही समय में टॉरपीडो और ट्यूब के इस्तेमाल के जरिए एंटी शिप मिसाइल से अंडर वॉटर और सतह दोनों जगह निशाना लगाया जा सकता है।

दो और पनडुब्बियाँ जल्द होंगी तैनात

मई 2019 में लॉन्च की गई INS वेला ने कोविड प्रतिबंधों के बावजूद हथियार और सेंसर टेस्ट समेत सभी प्रमुख बंदरगाह और समुद्री ट्रायल्स को पूरा कर लिया है। इस सीरीज की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी अक्टूबर 2015 में लॉन्च की गई थी और दिसंबर 2017 में इसे कमीशन किया गया था। दूसरी INS खंडेरी को जनवरी 2017 में टेस्ट के लिए लॉन्च किया गया था और सितंबर 2019 में इसे कमीशन किया गया। तीसरी पनडुब्बी INS करंज को जनवरी 2018 में लॉन्च किया गया। 10 मार्च 2021 को ये कमीशन की गई। आईएनएस वेला इस सीरीज की चौथी सबमरीन है।
पांचवी सबमरीन आईएनएस वागीर नवंबर 2020 में लॉन्च की गई थी। इसने बंदरगाह ट्रायल शुरू कर दिए हैं। इसके दिसंबर 2021 में पहली बार सतह पर दिखने की उम्मीद है। छठी पनडुब्बी आईएनएस वाग्शीर भी एडवांस स्टेज में है।
आज नौसेना को मिलेगी INS वेला

INS वेला कलावरी क्लास की चौथी सबमरीन है, जो 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची और 1565 टन वजनी है। INS वेला में मशीनरी सेट करने के लिए लगभग 11 किलोमीटर लंबी पाइप और करीब 60 किलोमीटर की केबल फिटिंग की गई है।
रडार से नहीं हो पाएगी ट्रेक


यह सबमरीन स्पेशल स्टील से बनी है, इसमें हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अंदर ज्यादा गहराई तक जाकर ऑपरेट करने में सक्षम है। इसकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे रडार सिस्टम को धोखा देने योग्य बनाती है यानी रडार इसे ट्रैक नहीं कर पाएगा। यह दुश्मन को भनक लगाए बिना ही अपना काम पूरा कर सकती है। इसके अलावा इसे किसी भी मौसम में ऑपरेट किया जा सकता है।
INS वेला में हैं 360 बैटरी सेल्स


आईएनएस वेला में दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन लगाए गए हैं। इसमें 360 बैटरी सेल्स हैं। प्रत्येक का वजन 750 किलोग्राम के करीब है। इन्हीं बैटरियों के दम पर आईएनएस वेला 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय कर सकती है। यह सफर 45-50 दिनों का हो सकता है। ये सबमरीन 350 मीटर तक की गहराई में भी जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है।आईएनएस वेला की टॉप स्पीड की बात करे तो यह 22 नोट्स है। इसमें पीछे की ओर फ्रांस से ली गई तकनीकी वाली मैग्नेटिस्ड प्रोपल्शन मोटर है। इसकी आवाज सबमरीन से बाहर नहीं जाती है। इसीलिए, आईएनएस वेला सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जा सकता है। इसके भीतर एडवांस वेपन हैं जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकते हैं।
दुश्मन को खत्म करने के लिए हथियार
आईएनएस वेला के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात करें तो इसपर 6 टोरपीडो ट्यूब्स बनाई गई हैं, जिनसे टोरपीडोस को फायर किया जाता है। इसमें एक वक्त में अधिकतम 18 तोरपीडोस आ सकते है या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39 को भी ले जाया जा सकता है। इसके जरिए माइंस भी बिछाई जा सकती हैं।

स्वदेशी पनडुब्बी है INS वेला
गौरतलब है कि भारत सरकार ने 2005 में फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप (पहले डीसीएनएस) के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत करार किया था। इस सौदे की कीमत 3.5 बिलियन यूएस डॉलर थी। इसी सौदे का पालन करते हुए INS वेला को भारत में तैयार किया गया है, यह एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत तैयार की गई है।
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