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नाबालिग की कस्टडी निर्धारण में बच्चे की प्राथमिकताएं भी महत्वपूर्ण-सुप्रीम कोर्ट

अंतरराष्ट्रीय कस्टडी मामला, बच्चों की कस्टडी संबंधी मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

Nov 04, 2020 / 12:38 pm

Mohmad Imran

नाबालिग की कस्टडी निर्धारण में बच्चे की प्राथमिकताएं और झुकाव भी महत्वपूर्ण-सुप्रीम कोर्ट

नाबालिग की कस्टडी निर्धारण में बच्चे की प्राथमिकताएं और झुकाव भी महत्वपूर्ण-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही बच्चे की अंतरराष्ट्रीय कस्टडी से जुड़े एक फैसले में ‘गार्डियन एंड वार्ड एक्ट,1890’ (Guardian and Ward Act, 1890) की धारा 17 (३) को आधार बनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर नाबालिग अपने लिए विवेकपूर्ण प्राथमिकताएं तय कर पाए तो नाबालिग बच्चे की कस्टडी निर्धारित करने के लिए उसकी प्राथमिकताएं और झुकाव भी महत्वपूर्ण हैं। धारा 17 (5) में प्रावधान है कि बच्चे की इच्छा विरुद्ध अदालत किसी भी व्यक्ति को नाबालिग का अभिभावक नियुक्त या घोषित नहीं करेगी
नाबालिग की कस्टडी निर्धारण में बच्चे की प्राथमिकताएं और झुकाव भी महत्वपूर्ण-सुप्रीम कोर्ट

इसलिए महत्वपूर्ण
कोर्ट ने कहा कि बच्चा (जिस बच्चे के मामले में कोर्ट सुनवाई कर रहा था) अपनी उम्र से अधिक आत्मविश्वासी, मुखर विचारों और भविष्य को लेकर स्पष्ट है। बच्चा विदेश में पढऩे का इच्छुक है। उसका स्नेह पिता के प्रति अधिक है। इसलिए उसकी प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं। उसके झुकाव को अनदेखा करना उसपर प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकता है।

मिरर ऑर्डर भी दिया
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मिरर आर्डर की अवधारणा को भी अपने फैसले में लागू किया है। मिरर आर्डर नाबालिग की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कोर्ट बच्चे को विदेश स्थानांतरित करने की अनुमति देते वक्त माता-पिता से वहां की सक्षम अदालत से बच्चे की कस्टडी का समान आदेश प्राप्त करने को कह सकती है।

नाबालिग की कस्टडी निर्धारण में बच्चे की प्राथमिकताएं और झुकाव भी महत्वपूर्ण-सुप्रीम कोर्ट

यह था मामला
स्मृति मदान कंसाग्रा बनाम पेरी कंसाग्रा (सिविल अपील संख्या 3559/2020) के मामले में पीठ दिल्ली निवासी बच्चे आदित्य की मां और केन्या में रहने वाले पिता के संबंध में सुनवाई कर रही थी। नाबालिग के झुकाव को प्राथमिकता देते हुए पीठ ने बच्चे के पिता को उसकी कस्टडी की अनुमति दी।

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