गैर सरकारी संगठन लॉयर्स फार जस्टिस की तरफ से दायर एक जनहित याचिका को गंभीरता से लेते हुए भी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से सुप्रीम कोर्ट ने लंबित अपीलों के बाबत जानकारी मांगी थी। यहां से मिली रिपोर्ट में बताया गया है कि वहां पर 1994 से लेकर अब तक अपील से संबंधित 71,474 आपराधिक मामले लंबित हैं।
व्यक्तिगत मामले दोनों प्रदेशों के उच्च न्यायालयों से रिपोर्ट मिलने के बाद न्यायाधीश जे चेलमेश्वर और संजय किशन कौल की पीठ ने इस स्थिति को खतरनाक करार दिया है। पीठ ने कहा है कि इस विकट स्थिति से पार पाने के लिए कुछ करना पड़ेगा। तत्काल यह नहीं कहा जा सकता है कि हम क्या कर सकते हैं लेकिन यह बहुत ही गंभीर मसला है। हालांकि दो से तीन दशकों में पीठ ने इनमें से कुछ की सुनवाई की भी है। इस मामले में मद्रास और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की स्थिति बेहतर है। वर्तमान में पीठ दो मामलों की सुनवाई भी कर रही है। इनमें एक हत्या के आरोपी रामू ने अपने वकील के माध्यम से जमानत की मांग की है। दूसरे मामले एनजीओ लॉयर्स फार जस्टिस के एक मुवक्किल से जुड़ा है। ये व्यक्तिगत याचिकाएं 12 साल से उच्च न्यायालयों में लंबित हैं।
अदालत ने इन मामलों में सहायता के लिए वरिष्ठ वकील एमएन राव को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। इसकी आवश्यकता वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी सीयू सिंह और श्याम दीवान ने जताई थी। एनजीओ के वकील नवीन प्रकाश ने बताया कि उनके मुवक्किल की सजा पूरी हो गई है। इसके बाद भी उसकी अपील लंबित है।