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फेसमास्क के इर्द-गिर्द घूमती पश्चिमी देशों की राजनीति

अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव हों या यूरोप के अन्य देश, फेसमास्क अब इन देशों की राजनीति का अहम हिस्सा बन चुके हैं

Nov 21, 2020 / 02:22 pm

Mohmad Imran

फेसमास्क के इर्द-गिर्द घूमती पश्चिमी देशों की राजनीति

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कोरोना महामारी के इस दौर में किसी ने सोचा भी नहीं था कि फेसमास्क एक दिन इतने महत्वपूर्ण हो जाएंगे कि चुनाव में प्रत्याशी की हार-जीत तय करने में भी अहम भूमिका निभाने लगेंगे। बीते कुछ महीनों में अगर, अमरीका समेत अन्य यूरोपीय देशों की राजनीति और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उनके समर्थकों और प्रतिद्वंदियों के कमेंट्स पर गौर करेंगे तो आप पाएंगे कि फेसमास्क भी अब एक टूल में बदल गया है। इन ट्वीट्स और हैशटैग से पता चलता है कि फेसमासक हमारी वर्तमान राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कालखंड के सर्वव्यापी संकेत बन गए हैं। मुखौटा पहनना न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य का मामला है, एक व्यक्तिगत पसंद या नागरिक शिष्टाचार का भी संकेत है। अब यह एक राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान, मौलिक मूल्यों और नागरिकों के रूप में हमारे अधिकारों की लड़ाई में ‘कल्चरल वॉर’ में नया अध्याय बनकर उभरा है। पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के पुन: लगातार बढ़ रहे मामलों की नागरिक कीमत चुका रहे हैं।
फेसमास्क के इर्द-गिर्द घूमती पश्चिमी देशों की राजनीति

नई बात नहीं है फेसमास्क की राजनीति
हालांकि, फेसमास्क पहनने के इर्द-गिर्द बुने जा रहे इन राजनीतिक जालों के तार कोई नई ईजाद नहीं हैं। साल 1918 के स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान भी मास्क पहनने के सरकारी निर्देशों ने देशभक्ति, ***** और सत्ता की शक्ति हासिल करने के संघर्ष को एक राजनीतिक लड़ाई में बदल दिया था। आज की ही तरह, उस दौर में भी लोग मास्क पहनने का समर्थन करने वाले और इसके विरोधी के रूप में दो गुटों में बंट गए थे। बात अमरीका के विभाजन तक पहुंच गई थी। लेकिन 1918 में अलग-अलग राजनीतिक स्थिति के कारण ऐसा हो न सका क्योंकि अमरीकी विभाजन की बजाय प्रथम विश्व युद्ध और फ्लू महामारी के दोहरे हमले के बीच अपनी सरकार के पीछे चलने का निर्णय किया। इसके अलावा, राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के प्रशासन ने असहमति के सभी स्वरूपों पर नकेल कसते हुए किसी भी आलोचना को लगभग दफ्न कर दिया था। ‘जर्मन कैसर’ (the German kaiser) की तरह फ्लू को आम दुश्मन के रूप में चित्रित करते हुए उन्होंने फेसमास्क पर हो रही बहस को देशभक्ति और नागरिक कर्तव्य के सवाल में बदल दिया। जिसने इस संभावना को भी खत्म कर दिया कि अमरीका परस्पर पक्षपातपूर्ण विरोध की भेंट चढ़कर दो टुकड़ों में विभाजित हो जाएगा।

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स्थानीय प्रशासन पर छोड़ा फेसमास्क का निर्णय
विरोध दबाने और देश के विभाजन को रोकने में सफल होने के बावजूद, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमरीकी सरकार के मजबूत हाथों के बावजूद, 1918 में फेसमास्क संबंधी आदेशों को संघीय स्तर पर समन्वित नहीं किया गया। अमरीकी सरकार ने यह निर्णय शहरों और स्थानीय अधिकारियों के लिए छोड़ दिया था। उस दौर में संघीय सरकार आज की तुलना में सत्ता और जिम्मेदारियों में बहुत कम विस्तारित थी, जिसका मतलब था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के मुद्दे अक्सर निजी पहल या स्थानीय सरकारों के दायरे में आते थे। फ्लू के प्रकोप के तुरंत बाद, देश के आला के अधिकारियों और शहर के स्वास्थ्य बोर्डों ने फेसमास्क संबंधी जनादेश के लिए पूरा जोर लगा दिया। लेकिन ज्यादातर जगहों पर इसे विरोधियों ने नजरअंदाज कर दिया। इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि 2020 के विपरीत 1918 में मास्क का इस्तेमाल कभी भी राजनीतिक प्रवृत्ति के रूप में नहीं किया गया। लेकिन आज मास्क किसी के विचारों को व्यक्त करने के लिए एक रिक्त कैनवास बन गया है। फिर चाहे वह ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ का समर्थन कर रहा हो, लोगों को वोट देने के लिए कह रहा हो या राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के नामों को बढ़ावा देने के लिए। जबकि 1918 में फ्लू महामारी के दौरान मास्क का उपयोग संदेश देने के लिए नहीं किया गया था।

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फ्लू की प्रतिक्रिया पर सार्वजनिक बहस के बीच, फेसमास्क केवल फैशन की वस्तु न रहकर जनता की राय और देशभक्ति की भावना के एक बैरोमीटर बन गए थे। कुछ के लिए इनका उपयोग राजनीति के रूप में किया जाता था जो उनकी देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावनाओं का संकेत था। वहीं दूसरों के लिए, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा था। फिर भी, फेसमास्क को लेकर उस दौर में आज जितना मुखर विरोध और निजी पसंद-नापसंद के प्रति पूर्वाग्रह शामिल नहीं था। आज हमारे फेसमास्क, एक सदी पहले की तुलना में बहुत अधिक रंगीन, रचनात्मक और चंचल हैं तो भी वे जिस बहस के दौर से गुजर रहे हैं, उससे हम सभी परिचित हैं। 1918 की तरह, फेसमास्क हमारे वर्तमान राजनीतिक क्षण के दृश्यमान प्रतीक बन गए हैं। संभव है वे भविष्य के इतिहासकारों के लिए हमारे वर्तमान को समझने का एक ठोस सबूत होंगे।
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