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नग्न आंखों से न दिखने वाला यह आणविक रोबोट बदल देगा तकनीक की दुनिया

वैज्ञानिकों ने दुनिया के पहले ‘आणविक रोबोट’ का निर्माण किया है, जो औषधि बनाने के साथ-साथ नए अणुओं का निर्माण करने में भी सक्षम है।

Sep 26, 2017 / 01:53 pm

Mazkoor

molecular robot

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मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ केमेस्ट्री के वैज्ञानिकों को दुनिया का पहला ‘आणविक रोबोट’ बनाने में कामयाबी मिली है। नग्र आंखों से न दिखने वाला यह रोबोट तमाम तरह के कार्य करने के साथ-साथ औषधि तथा नए अणुओं का निर्माण करने में भी सक्षम है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह आणविक रोबोट भविष्य में बेहद कारगर और अचूक औषधियां बनाने में सक्षम होगा। यह रिसर्च ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

नए अणु और दवा बनाने में सक्षम
इस छोटे से रोबोट को इस तरह डिजायन किया गया है कि वह अपने छोटे से रोबोटिक आर्म के जरिये कई तरह के काम बड़ी कुशलता से कर सकता है। यह अणुओं के साथ छेड़छाड़ कर नए गुण केअणु बनाने में भी सक्षम है और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जा भी सकता है। अलग-अलग गुण वाले अणु बनाने की क्षमता की वजह से औषधियों की खोज में तेजी आएगी और घातक बीमारियों पर विजय पाई जा सकेगी। सिर्फ १५० कॉर्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन परमाणुओं से बने इस रोबोट को इस तरह से तैयार किया गया है कि वैज्ञानिक इसे निर्देश भी दे सकते हैं कि किसी केमिकल रिएक्शन को करवाना है या उसे समाप्त करवा देना है।

बेहद उपयोगी है यह रोबोट
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भविष्य की सारी मशीनें और अन्य उत्पाद बेहद छोटी हो जाएंगी। इससे सामग्रियों की मांग बेहद कम हो जाएगी। इससे पृथ्वी पर खनिज संसाधनों की कमी नहीं होगी। बेहद छोटी होने के कारण जगह की समस्या से भी दो-चार नहीं होना पड़ेगा। बिजली की खपत में जबरदस्त कमी आएगी, जिससे ऊर्जा संकट भी नहीं रहेगा।

बनेंगी छोटी मशीनें
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ केमेस्ट्री में प्रोफेसर लेह कहते हैं कि यह आणविक रोबोटिक्स मशीनरी के सूक्ष्मतम रूप का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी मदद से सबसे छोटे मशीन को डिजाइन किया जा सकेगा। हमें उम्मीद है कि आने वाले एक से दो दशक के भीतर आणविक कारखानों में अणुओं और सूक्ष्मतम मशीनों का निर्माण और एसेम्बल करने में आणविक रोबोट का इस्तेमाल होने लगेगा।

जटिल नहीं है तकनीक
अनुसंधान टीम के नेतृत्वकर्ता डेविड लेह बताते हैं कि सभी अणु परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं और परमाणु से मिलकर ही स्वतंत्र तत्वों के अणुओं का निर्माण होता है। इस आणविक रोबोट की संरचना भी इसी सिद्धांत पर हुई है। इसमें कोई खास तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसका स्ट्रक्चर भी वैसा ही है, जैसा परमाणु से मिलकर बने किसी तत्व के अणु का होता है। यह रोबोट विशेष प्रतिक्रिया तब देता है, जब वैज्ञानिकों की ओर से इसमें रासायनिक इनपुट्स डाले जाते हैं।

रसायन बनाने की भी होती है यही प्रक्रिया
इसे बनाने और संचालित करने में रसायन शास्त्र का उपयोग किया गया है। यह वह विज्ञान है जिससे पता चलता है कि कैसे परमाणु और अणु एक-दूसरे के साथ प्रतिक्रिया कर बड़े से अणुओं से छोटे अणुओं का निर्माण किया जाता है। ठीक इसी प्रक्रिया का इस्तेमाल वैज्ञानिकों साधारण रसायन की संरचनाओं से औषधि और प्लास्टिक बनाने में उपयोग करते हैं। प्रोफेसर लेह यह भी कहते हैं कि इस तरह की छोटी मशीनों का निर्माण और संचालन बेहद जटिल है, लेकिन हमारी टीम की ओर से उपयोग की जाने वाली यह तकनीक सरल रासायनिक प्रक्रियाओं पर आधारित होती है। इससे आने वाली कठिनाइयों को बेहतर तरीके से निबटा जा सकता है।

कर सकेंगे कई तरह का काम
इस रोबोट का भविष्य में चिकित्सा प्रयोजनों, उन्नत विनिर्माण प्रक्रियाओं, मशीन या अन्य वस्तुओं के घटक भागों को एक साथ फिटिंग और यहां तक कि आणविक कारखानों में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

अतिसूक्ष्म है
यह बेहद छोटा रोबोट है। एक मिलीमीटर के १० लाखवें हिस्से से भी छोटा, जिसे नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। यह कितना छोटा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके १०० करोड़ रोबोट को अगर एक के ऊपर एक रख दिया जाए, तब जाकर कहीं ये नमक के एक दाने के बराबर दिखेगा।

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