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स्वीडन में शुरू हुई दुनिया की सबसे ऊंची लकड़ी की विंड टरबाइन

यह टरबाइन सबसे ऊंचे ब्लेड के सिरे तक 150 मीटर (492 फीट) है। इसके शीर्ष पर मौजूद दो मेगावाट जनरेटर स्वीडिश ग्रिड को बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं, जिससे लगभग 400 घरों को बिजली मिलती है।

Dec 29, 2023 / 11:41 am

Kiran Kaur

स्वीडन में शुरू हुई दुनिया की सबसे ऊंची लकड़ी की विंड टरबाइन

स्वीडन में शुरू हुई दुनिया की सबसे ऊंची लकड़ी की विंड टरबाइन

स्टॉकहोम। दुनिया की सबसे ऊंची लकड़ी से बनी विंड टरबाइन ने काम करना शुरू कर दिया है। इस टरबाइन को स्वीडन के स्टार्टअप मोडवियोन ने बनाया है। टावर, कंपनी की पहली व्यावसायिक स्थापना है। यह टरबाइन सबसे ऊंचे ब्लेड के सिरे तक 150 मीटर (492 फीट) है। इसके शीर्ष पर मौजूद दो मेगावाट जनरेटर स्वीडिश ग्रिड को बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं, जिससे लगभग 400 घरों को बिजली मिलती है।
स्टील के बेहतर विकल्प के रूप में:

विश्व के लगभग सभी टरबाइन टावरों के लिए स्टील मुख्य सामग्री है। मजबूत, टिकाऊ स्टील ने जमीन और समुद्र पर विशाल टरबाइन और विंड फार्म का निर्माण करना संभव बना दिया है। लेकिन स्टील की अपनी सीमाएं हैं, खासकर जमीन पर परियोजनाओं के लिए। जैसे-जैसे लंबे टरबाइनों की मांग बढ़ी है, उन्हें समर्थन देने के लिए बेलनाकार स्टील टावरों का व्यास भी बढ़ाना पड़ा है। सुरंगों, पुलों और गोलचक्करों की दुनिया में पवन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि धातु के इन विशाल टुकड़ों को टरबाइन स्थलों तक ले जाना सिरदर्द बन गया है, जो नए स्टील टरबाइनों की लंबाई को सीमित कर रहा है।
चुनौतीपूर्ण स्थानों पर ले जाना होगा आसान:

यह विंड टरबाइन स्प्रूस की लकड़ी से बना है। स्टील की तुलना में लकड़ी का प्रयोग करना हल्का है। लकड़ी के इस्तेमाल से ऊंचे टावर बनाना और टुकड़ों को चुनौतीपूर्ण स्थानों पर ले जाना बहुत आसान हो जाएगा। स्टार्टअप मोडवियोन का आगामी लक्ष्य 300 मीटर (ब्लेड टिप के साथ) ऊंचा टरबाइन बनाना है, जिसका मतलब है कि टावर की ऊंचाई 200 मीटर या उससे अधिक होगी। कंपनी के अनुसार उद्योग वर्तमान में सालाना 20,000 टरबाइन लगा रहा है। हमारा उद्देश्य है कि 10 वर्षों में उनमें से लगभग 2,000 लकड़ी के हों।
पर्यावरण के लिए बेहद उपयोगी:

स्टील के बजाय लकड़ी का उपयोग करने से विंड टरबाइन के कार्बन फुटप्रिंट पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब पेड़ जीवित होते हैं तो वे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और जब उन्हें काटा जाता है, तो कार्बन लकड़ी में जमा हो जाता है। जब तक लकड़ी सड़ती या जलती नहीं है, तब तक कार्बन नहीं निकलता।

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