गौरतलब है कि भारतीय खिलाड़ियों को जापान में सद्भावना यात्रा के तहत जाना था। जिसका खर्चा जापान उठा रहा था। बीआई के बड़े अफसरों ने खिलाड़ियों की जगह अपने बच्चों को जापान भेज दिया। जिसके बाद वे सभी सीबीआई के निशाने पर आ गए। अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी। वह डीसीबीए के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश के संबंध में मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेज चुकी है।
यह है मामला: मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो साल 2004 में जापानी सरकार ने यूथ स्पोर्ट्स एक्सचेंज प्रोग्राम का आयोजन किया था। जिसमें भारत के उभरते हुए खिलाड़ियो को भेजा जाना था। पर जिन खिलाड़ियों को इस फ्रेंडली टूर्नामेंट में खेलने के लिए भेजा गया था, वह असल में बीआईए और उसकी दिल्ली यूनिट-दिल्ली कैपिटल बैडमिंटन असोसिएशन के अधिकारियों के बच्चे और उनके रिश्तेदार थे। इस टूर्नामेंट का सारा खर्चा जापानी सरकार ने उठाया था।
मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार इस टूर्नामेंट के लिए न तो किसी तरह का ट्रायल हुआ और न ही योग्य बैडमिंटन खिलाड़ियों को बुलावा भेजा गया। सबसे खास बात ये भी है कि जापान जाने वाले खिलाड़ियों में से अधिकतर बच्चे खेलने के योग्य भी नहीं थे।
ये था नियम जापान जाने वाले बच्चों के लिए नियम बनाए गए थे पर सभी नियमों को ताक में रखकर अपने अपने बच्चे भेज दिए गए। टूर्नामेंट के चयन होने के लिए खिलाड़ियों की उम्र 17-23 के बीच होनी चाहिए और उन्हें देश को क्षेत्रीय या राज्य स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया होना चाहिए था।
अध्यक्ष ने दी सफाई अध्यक्ष गुप्ता ने सीबीआई को बताया कि यह एक सिटी एक्सचेंज प्रोग्राम था और इसका बीआईए से कोई लेना-देना नहीं था। डीसीबीए ने बच्चों का चयन किया था क्योंकि यह टूर्नामेंट दिल्ली और तोक्यो के बीच था। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी भी वहां गई थी पर उसका डीसीबीए ने चयन किया था और मैं उस सिलेक्शन का हिस्सा नहीं था।