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ड्राइवर पिता और मजदूर मां का ये बेटा कभी था ‘क्रिकेट की शान’, अब खेत जोतने को है मजबूर

2009 में अपनी रफ्तार से सनसनी मचाने वाले कामरान खान ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी जिंदगी में इस कदर उतार चढ़ाव आएगा।

Nov 03, 2015 / 07:07 pm

balram singh

दुनिया के महान बल्लेबाजों में शुमार क्रिस गेल, जैक्स कालिस और सौरव गांगुली को अपनी गेंदबाजी से प्रभावित करने वाला क्रिकेट का यह अनोखा सितारा आज खेतों की धूल छान रहा है। टेनिस बॉल से खेलने वह यह सितारा जितनी तेजी से क्रिकेट की दुनिया में चर्चित हुआ, आज उससे भी ज्यादा तेजी से वो गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो गया है। यह कहानी है कामरान खान की।

क्रिकेट के मैदान में 2009 में अपनी रफ्तार से सनसनी मचाने वाले कामरान खान ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी जिंदगी में इस कदर उतार चढ़ाव आएगा। कहते हैं कि इंसान के लिए समय कभी एक सा नहीं होता। यह कहावत कामरान की याद दिलाती है।

कभी आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलने वाला कामरान आज क्रिकेट छोड़ अपने भाई के फॉर्म में खेती कर रहा है। जिस हाथ में गेंद होनी चाहिए थी आज उन हाथों में फावड़ा और कुदाल है। तीन साल के अंदर ही तेज गेंदबाज कामरान खान के बड़ा क्रिकेटर बनने का सपना चूर-चूर हो गया। चकिंग की एक शिकायत ने उनके परवान चढ़ते सपने को थाम दिया और उसके बाद कभी उड़ ही नहीं पाए।
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एक समय क्रिस गेल, जैक्स कालिस और सौरव गांगुली जैसे धुरंधर बल्लेबाजों को भी अपनी गेंदों से प्रभावित करने वाले कामरान आज अपने खेतों पर इस बात की जद्दोजहद कर रहा है कि ऐसी कौन-सी तरकीब है जिससे सियार और नील गाय को खेत में आने से रोका जाए। यही नहीं कामरान को शेन वॉर्न ने भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि करार दिया था।

आपको बता दें की 2009 के बाद पुणे वॉरियर्स ने इन्हें अपनी टीम में लिया जहाँ इनको सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला। सफलता की सीडियां चढ़ रहे कामरान खान की जिंदगी में यू टर्न तब आया जब क्रिकेट के आलोचकों द्वारा इनके बॉलिंग एक्शन पर सवालिया निशान लगाए गए और जांच के नाम पर इन्हें टीम से बहार का रास्ता दिखा दिया गया। तभी से कामरान अपने भाई के पास आजमगढ़ के नदवा सराए में रहकर खेती कर रहे हैं।
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कामरान ने जानकारी देते हुए बताया की टीम से बाहर होने के बाद उन्हें लोगों की आलोचना और व्यंग का सामना करना पड़ा। साथ ही उन्होंने ये भी बताया की उनके गाँव में आज भी क्रिकेट को सिर्फ समय व्यतीत करने का साधन माना जाता है और जब इन्होने इस खेल से जीवन यापन करने की सोची थी तभी इनको इनके गांव के बड़े बुजुर्गों द्वारा काफी ताने दिए गए और जब ये वापस आ गए तो बात सोने पे सुहागा हो गई।

साल 2009 में राजस्थान टीम का हिस्सा रहे आजमगढ़, यूपी के कामरान खान की दुर्दशा देखकर वार्न बहुत दुखी हैं। आपको बता दे की आस्ट्रेलिया के गेंदबाज और राजस्थान रॉयल्‍स के पूर्व कप्तान शेन वार्न को जब इस पूरे मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने अपने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए कहा, “ये भारत का दुर्भाग्य है की इतने अच्छे खिलाड़ी का ये हाल हो रहा है।” उन्होंने ये भी कहा की ये कितनी अजीब बात है की इतना अच्छा खिलाड़ी आज खेत में हल चला रहा है। अंततः वन इंडिया परिवार यही कामना करता है की जल्द ही यूपी के इस होनहार की टीम में वापसी हो। उम्मीद है तुम ठीक हो दोस्त।
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कौन हैं कामरान?
कामरान के पिता टैक्सी ड्राइवर थे और वे फैंफड़े की बीमारी के चलते वे ज्यादातर समय बिस्तर में ही रहते। उनकी मां को बीड़ी बनाने का काम कर परिवार पालना पड़ा। आईपीएल में खेलने से पहले ही उनके पिता और मां का निधन हो गया। परिवार के लोग चाहते थे कि कामरान सेना में जाए लेकिन कामरान क्रिकेट को अपना करियर बना लिया।

एख बार वह अपने गांव के ही रहने वाले नौशाद खान के साथ वे मुंबई आ गए। यहां पर राजस्थान टीम के डायरेक्टर डैरेन बैरी मुंबई में एक टी-20 टूर्नामेंट के दौरान कामरान की गेंदबाजी को देखकर प्रभावित हुए थे और अपनी टीम से जोड़ने का फैसला किया। कामरान लगातार 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद डालते थे। अपने पहले मैच से पहले ही कामरान सुर्खियों में आ गए थे।
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2009 में राजस्थान रॉयल्स से जुड़ने पर टीम के कप्तान वार्न ने कामरान को प्रतिभावान खिलाड़ी करार दिया था और साथ ही उन्होंने कहा कि कामरान आगे जाकर एक स्टार खिलाड़ी बनेगा। लेकिन अब यही कामरान आजमगढ़ के खेतों में काम कर रहा है।



21 साल के कामरान को पिछले साल पुणे वारियर्स ने अनुबंधित किया था। लेकिन फ्रेंचाइजी के मालिकों ने यह कहकर उन्हें वापस घर भेज दिया कि फिलहाल टीम को उनकी जरूरत नहीं है। इसके साथ ही पुणे टीम ने कामरान को 10 लाख रुपए भी अदा किए।

कामरान ने राजस्थान रॉयल्स के साथ खेलते हुए 19.66 की औसत से 9 विकेट लिए थे। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 18 रन देकर 3 विकेट लेने का रहा, जो कि उन्होंने केपटाउन में 23 अप्रैल 2009 को कोलकाता के खिलाफ हुए मैच में किया था।

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