श्रीगंगानगर. चिकित्सालय में मंगलवार को भी हर जगह लंबी लाइन लगी रही। हर कोई रोगी पहले उपचार और जांच करवाने के लिए कोशिश में लगा हुआ था। ऑपेशन थिएटर, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे व विभिन्न जांच के लिए रोगी कड़ी मशक्कत करते रहे। सोमवार को 24 घंटे के लिए डॉक्टर्स ने जिले भर में ओपीडी का बहिष्कार किया था। इस कारण मंगलवार को ढाई हजार तक ओडीपी पहुंच गई। साढ़े तीन सौ बैड की क्षमता वाले अस्पताल में भर्ती रोगियों की संख्या सवा चार सौ तक पहुंच गई।
एक ही दिन में ओपीडी और आइपीडी में रोगियों की संख्या में इजाफा हो गया। अधिक रोगी भर्ती होने से व्यवस्था प्रभावित होती है। जिला चिकित्सालय में औसतन 2000 के आसपास ओपीडी रहती है परन्तु मंगलवार को एक ही दिन में ढाई हजार से अधिक रोगी दवा लेने के लिए अस्पताल पहुंच गए। जिसके चलते जिधर देखो रोगियों की कतारें लगी हुई थी। चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल में रोगियों की संख्या बढऩे से समस्या और बढ़ गई। रोगियों की परेशानी कम नहीं हो रही है। रोगियों को पहले पर्ची, फिर डॉक्टर से परामर्श, जांच और बाद में दवा लेने के लिए डीडीसी पर कतारों में लगना पड़ा। गर्मी में बुजुर्गों और महिलाओं को अधिक दिक्कत आई। बुजुर्गों के लिए अतिरिक्त काउंटर भी है लेकिन वहां पर कतार नहीं टूटती। उल्लेखनीय है 28 मई 2019 को रेकॉर्ड एक दिन में 2895 ओपीडी और 469 आइपीडी रही है।
————— सबसे ज्यादा भीड़ पर्ची काउंटर पर
चिकित्सालय में पर्ची काउंटर पर सर्वाधिक भीड़ रहती है। ऑनलाइन पर्ची देरी से मिलने के कारण कतार में खड़े रोगियों की सब्र का बांध टूट जाता है। इससे कई बार विवाद की स्थिति भी बनती है।
————— हर जगह लंबी लाइन 1. पर्ची कटवाने के लिए।
2 डॉक्टर से परामर्श व उपचार के लिए। 3. जांच करवाने के लिए पर्ची पर नंबर लगाने और सैंपल के लिए।
4. शाम को जांच रिपोर्ट लेने के लिए।
5. जांच,परामर्श के बाद दवा लेने के लिए।
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ओपीडी-2500 चिकित्सालय में बैड-350
आइपीडी-425 ————– चिकित्सालय में सोमवार को डॉक्टर्स के 24 घंटे की ओपीडी का बहिष्कार था। इसके बावजूद एक हजार की ओपीडी रही और मंगलवार को ओपीडी बढकऱ ढाई हजार तक पहुंच गई। चिकित्सालय में रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जबकि स्टाफ व डॉक्टर्स की रोगियों की तुलना में काफी कम है।
-डॉ. प्रेम बजाज, उप नियंत्रक, जिला चिकित्सालय, श्रीगंगानगर।