श्रीगंगानगर.राजकीय जिला चिकित्सालय में 10,20 व 21 जनवरी को तीन प्रसूताओं की मौत हो गई। इसको लेकर मातृ मृत्यु की बैड हैड टिकट की विस्तृत समीक्षा की गई। इन प्रसूताओं की मौत के कारणों पर गंभीरता से अध्ययन कर चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने का निर्णय किया गया।
मीटिंग प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ.पवन सैनी की अध्यक्षता में हुई थी। इसमें तीनों गर्भवती महिलाओं की मौत के कारणों पर चर्चा की गई गई। इस रिपोर्ट को चिकित्सालय प्रबंधन ने निदेशक एनएचएम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं राजस्थान जयपुर व आरसीएचओ को भी भेजा है। राजस्थान पत्रिका ने 23 जनवरी के अंक में ‘जिला चिकित्सालय में एक सप्ताह में तीन प्रसूताओं की मौत ’शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
————– चिकित्सा सुविधा बेहतर बनाने के किए गए निर्णय—ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली प्रसूताओं की एएनसी वर्कअप बहुत कमजोर होती है। इसमें सुधार की अति आवश्यकता है। एटीएमएसएल के लिए समस्त स्टाफ का प्रशिक्षण आवश्यक रूप से करवाया जाएगा। अक्सर देखा जाता है कि रेफर कार्ड पूर्णतया भरा नहीं होता। साथ ही इसमें गर्भवती के संबंध में विस्तृत जानकारी भी नहीं होती। हाइ रिस्क प्रेग्नेंसी, ब्लक प्रेशर, शुगर, एपीलेप्सी से ग्रसित प्रसूताओं का मामला कार्ड पर मोटे अक्षरों में अंकित होना चाहिए।
———— लेबर रूम में तीनों शिफ्ट में डॉक्टर लगाने का निर्णय—चिकित्सालय प्रबंधन ने तय किया है कि एमसीएच लेबर रूम में रोस्टर बनाकर तीनों शिफ्ट में डॉक्टर लगाए जाएंगे। इसके लिए गायनिक वार्ड की प्रभारी को रोस्टर बनाकर व्यवस्था संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं। लेबर रूम और पोस्टऑपरेटिव वार्ड में हाइ रिस्क मरीज की मॉनिटरिंग के लिए प्लस ऑक्सीमीटर कार्डयिक मॉनिटर ग्लूकोमीटर, नेब्यूलाइजर आदि का क्रय किया जाएगा। वार्डों में स्टाफ की कमी को देखते हुए प्रत्येक वार्ड में प्रत्येक शिफ्ट में दो से तीन नर्सिंग विद्यार्थी लगाने का निर्णय किया गया।
————- पोस्टऑपरेटिव वार्ड में 24 घंटे करनी होगी मरीज की मॉनिटरिंग—वार्डों में बीपी इस्ट्रूमेंट, ऑक्सीजन सिलेंडर,सक्शन मशीन व अन्य जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्धता बनाए रखने के लिए के वार्ड प्रभारियों को पाबंद किया गया। सभी पोस्ट ऑपरेटिव कैसेज की 24 घंटे तक विशेष देखभाल के निर्देश दिए हैं।