ऐसे ही एक मामले में शिक्षक महावीर सिंह ने बताया कि वे सितम्बर 2015 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय नारांवाली से सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके जीपीएफ खाते में कम राशि जमा होने का अंदेशा होने पर उन्होंने इस संबंध में दावा पेश किया तथा जब जांच हुई तो करीब 55 हजार रुपए का बकाया रािश का भुगतान उन्हें किया गया। इसी प्रकार श्रीगंगानगर के चौधरी बल्लूराम गोदारा राजकीय कन्या महाविद्यालय में उपप्राचार्य पद से सेवानिवृत्त इंद्राजसिंह चेतीवाल ने बताया कि उनके जीपीएफ खाते में भी कम राशि जमा हुई थी। जांच करवाई तो बड़ी राशि का अंतर सामने आया। इसमें से करीब साठ हजार रुपए का उन्हें भुगतान हो चुका है लेकिन अब भी बड़ी राशि बकाया है। ऐसे ही कई अन्य मामले भी हैं जिन्होंने अभी रा’य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के कार्यालय में आवेदन किया हुआ है। इनके मामलों की भी जांच की जा रही है।
बकाया निकलता है तो बाद में कर देते हैं भुगतान
हमें किसी भी राजकीय कार्यालय से जीपीएफ भुगतान के लिए डीडीओ की ओर से जो राशि मिलती है उसका भुगतान कर देते हैं। इसके बाद कुछ बकाया निकलता है तो वह बाद में कर्मचारी को भुगतान कर दिया जाता है। इसमें अनियमितता जैसा कुछ नहीं है। हां इसे मानवीय भूल कह सकते हैं। डीडीओ से बाद में जो राशि कर्मचारी के खाते में बकाया मिलती है उसका भुगतान कर दिया जाता है।
-देव किशन सोलंकी, सहायक निदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, श्रीगंगानगर