इलाज के लिए पत्नी को गोद में लेकर पैदल चला बुजुर्ग
परिषद प्रशासन की मंशा है कि कैटल फ्री सिटी मुहिम में अकेले नगर परिषद को जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए, इसके लिए नगर विकास न्यास,जिला प्रशासन, सार्वजनिक निर्माण विभाग, पशुपालन विभाग, पंचायत समिति और जिला परिषद को भी शामिल करने से दीर्घकालीन योजना बन सकती है। नगर परिषद सभापति अजय चांडक का दावा है कि शहर में तीन हजार से अधिक आवारा पशु हैं, इसमें करीब दो हजार पशुओं को विभिन्न गोशालाओं और नंदीशाला में रखा गया है।
परिषद प्रशासन की मंशा है कि कैटल फ्री सिटी मुहिम में अकेले नगर परिषद को जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए, इसके लिए नगर विकास न्यास,जिला प्रशासन, सार्वजनिक निर्माण विभाग, पशुपालन विभाग, पंचायत समिति और जिला परिषद को भी शामिल करने से दीर्घकालीन योजना बन सकती है। नगर परिषद सभापति अजय चांडक का दावा है कि शहर में तीन हजार से अधिक आवारा पशु हैं, इसमें करीब दो हजार पशुओं को विभिन्न गोशालाओं और नंदीशाला में रखा गया है।
जिन पशुओं को परिषद अमले ने पकड़कर रखवाया गया था, उनको चारे के लिए बजट का भुगतान नगर परिषद प्रशासन को करना पड़ रहा है। परिषद को हर साल करीब दो करोड़ रुपए का बजट अनुदान राशि देने में खर्च हो रहा है। इसके बावजूद स्थिति में बदलाव नहीं आया है। चांडक का कहना था कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से पशुओं को शहर में धकेला जा रहा है, ग्राम पंचायत स्तर पर ही पशुओं को संभाल लिया जाए तो समस्या का निदान हो सकता है।
गुलाबों की महक, लाखों का व्यापार
पड़ोसियों पर मेहरबानी, घर की अनदेखी शहर के हर गली हो मोहल्ले में विभिन्न गोशाला प्रबंध समितियों के विशेष वाहन चंदा एकत्र करने में परहेज नहीं कर रहे हैं। देसी जुगाड़ मारूता पर डीजे और लाडस्पीकर से भजनों और भक्ति गीतों से लोगों को इस कदर आकर्षित किया जाता है कि हर गली से लोग दान देने में पीछे नहीं रहते। लोग अपनी श्रद्धा के अनुरूप दान में बासी रोटी, गेहूं, चना, गुड़, बासी मिठाई, हरा चारा, खाद्य सामग्री के अलावा हरी सब्जियां, बचे हुए फ्रूट आदि सामान के अलावा नकदी राशि भी देते हैं।
पड़ोसियों पर मेहरबानी, घर की अनदेखी शहर के हर गली हो मोहल्ले में विभिन्न गोशाला प्रबंध समितियों के विशेष वाहन चंदा एकत्र करने में परहेज नहीं कर रहे हैं। देसी जुगाड़ मारूता पर डीजे और लाडस्पीकर से भजनों और भक्ति गीतों से लोगों को इस कदर आकर्षित किया जाता है कि हर गली से लोग दान देने में पीछे नहीं रहते। लोग अपनी श्रद्धा के अनुरूप दान में बासी रोटी, गेहूं, चना, गुड़, बासी मिठाई, हरा चारा, खाद्य सामग्री के अलावा हरी सब्जियां, बचे हुए फ्रूट आदि सामान के अलावा नकदी राशि भी देते हैं।