सीएमएचओ डॉ नरेश बंसल ने बताया कि भामाशाह स्वास्थ्य योजना के संबंध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशालय को सूचना दी गई है। पीडीआर जनरेट नहीं होने वाले क्लेम्स को दुबारा अपलोड करना होगा। इसके बाद क्लेम मंजूर कर लिए जाएंगे। क्या क्लेम राशि मिलेगी या नहीं, इस सवाल पर डॉ बंसल ने बताया कि यह सरकार के लेवल का मामला है। अभी तक की पूरी जानकारी योजना पूर्ववत की भांति काम कर रही है।
इसलिए अस्पताल संचालक असमंजस में न्यू इंडिया इंशोरेंस कंपनी ने भामाशाह योजना के तहत अनुबंधित राज्य के सभी अस्पतालों में इ-मेल भेजकर १३ सितम्बर की रात बारह बजे के बाद योजना के तहत मरीजों को भर्ती नहीं करने के लिए कहा है। इसके बाद भर्ती किए गए मरीजों क्लेम कंपनी स्वीकार नहीं करेगी। इसके बाद नर्सिंग होम संचालकों में इस पर बैचेनी देखी गई है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक राजस्थान हेल्थ इंशोरेंस कंपनी (आरएसएचएए) के माध्यम से क्लेम राशि देने का दावा किया है। श्रीगंगानगर प्राइवेट नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ संदीप चौहान ने बताया कि एक तरफ न्यू इंडिया इंशोरेंस कंपनी ने मरीजों के इलाज के क्लेम मंजूर नहीं करने की बात कह दी है। दूसरी ओर राजस्थान हेल्थ इंशोरेंस एजेंसी मरीजों को पहले की तरह भर्ती के लिए कह रही है। इससे गफलत की स्थिति पैदा हो गई है।
लाखों रुपए का बजट अटका श्रीगंगानगर में २६ प्राइवेट नर्सिंग होम्स में यह योजना संचालित हो रही है। वहीं पूरे प्रदेश में एेसे नर्सिंग होम्स करीब पांच हजार है। एक नर्सिंग होम्स में करीब पचास से साठ लाख रुपए सालाना क्लेम राशि नि:शुल्क उपचार के एवज में मिल रही है। बीमा कंपनी ने अस्पतालों के भारी भरकम क्लेम रोक रखे थे, अब तो कंपनी ने बिल्कुल ही हाथ खड़े कर दिए हैं। अस्पतालों का लाखों रुपए का भुगतान तो पहले ही रुका पड़ा है, अब तो अगर मरीजों को भर्ती किया जाता है तो हालात अधिक खराब हो जाएंगे।
हमारा अनुबंध इंशोरेंस कंपनी से न कि सरकार से
– डॉ संदीप चौहान, अध्यक्ष श्रीगंगानगर प्राइवेट नर्सिंग होम्स।