script‘काला कानून का निर्णय गलत | 'Bringing black law was a wrong decision | Patrika News
श्री गंगानगर

‘काला कानून का निर्णय गलत

असल में यह कानून तो बना ही नहीं था सिर्फ प्रवर समिति को भेजा गया था, बाद में इस मामले में जनभावनाओं को देखते हुए इसे वापिस ले लिया गया।

श्री गंगानगरFeb 21, 2018 / 06:47 am

pawan uppal

श्रीगंगानगर.

देवस्थान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजकुमार रिणवां ने माना है कि राज्य में काले कानून को लाना एक गलत निर्णय था। कई बार सरकार से भी गलत निर्णय हो जाते हैं, लेकिन जब भूलों को समय रहते सुधार लिया जाए तो यह अच्छी बात है। यह बात रिणवां ने मंगलवार अपरान्ह सर्किट हाऊस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि लोकसेवकों के विरुद्ध नित रोज नई-नई शिकायतों को देखते हुए यह काला कानून लाया गया था। असल में यह कानून तो बना ही नहीं था सिर्फ प्रवर समिति को भेजा गया था, बाद में इस मामले में जनभावनाओं को देखते हुए इसे वापिस ले लिया गया।
राहगीरों से मोबाइल व पर्स छीनने वाले गिरोह का पर्दाफाश


देवस्थान राज्य मंत्री ने राज्य सरकार की ओर से पिछले चार सालों में किए गए जनहित के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इतना कुछ करने के बाद भी जनता में नाराजगी है तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। रिणवा ने राजस्थान राज्य ऋण राहत आयोग का स्थाई रूप से गठन किया जाएगा। आयोग को वैधानिक दर्जा देने के लिए कानून लाया जाएगा ताकि आयोग को पूर्ण रूप से कानूनी संरक्षण प्राप्त हो सके।
पहले ससुराल वालों ने दुत्कारा, अब पीहर से भी निकाला


किसानों को मिला फायदा
उन्होंने मुख्यमंत्री के बजट बहस पर महत्वपूर्ण बिंदुओं पर किसानों को विभिन्न राहतें दिए जाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने अलग-अलग मदों में किसानों को 38000 करोड़ का अनुदान दिया है। इसका फायदा लाखों किसानों को मिला है। किसानों के लिए विद्युत दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। विद्युत नियामक आयोग ने जो राशि बढ़ाई है उससे आने वाले करीब 28 हजार करोड़ रुपए का भार सरकार ने क्रॉस सब्सिडी के माध्यम से अपने ऊपर ले लिया है।

पत्रिका ने इस काले कानून के खिलाफ सरकार की परवाह नहीं। निडरता के साथ जमकर आलोचना की। धरातल पर सरकार को भी फीडबैक ऐसा मिला तो यह कानून वापस ले लिया गया।
सोनू वर्मा, सेतिया कॉलोनी।

काले कानून के खिलाफ राजस्थान पत्रिका ने विपक्ष की भूमिका निभाई है। यह पत्रिका ने चुनौती का मुकाबला करने का जज्बा खुद दिखाकर मिसाल कायम की है।
किरण शर्मा, विनोबा बस्ती


यह जनता की जीत
जनता के विचार को पत्रिका ने अपने शब्दों में पिराने का काम आज तक किया है। लेकिन सरकार ने जिस तरीके से काले कानून लाकर मीडिया पर हमला किया है, इसे पत्रिका ने चुनौती के रूप में लिया ओर आखिर सरकार को घुटने टेकने पड़े।
महिमा, शिक्षिका, सुखाडिय़ानगर।

सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की कारगुजारियां को छिपाने के लिए राज्य सरकार काला-कानून लाई थी। राजस्थान पत्रिका ने इसके विरोध में अभियान चलाकर आम व्यक्ति की पीड़ा और दर्द को जाना। आखिर पत्रिका की मुहिम रंग लाई और राज्य सरकार काला कानून वापस लेने पर मजबूर हुई। इसके लिए पत्रिका बधाई की पात्र है।
रामादेवी बावरी।
राज्य सरकार दंड विधियां विधेयक 2017 विधानसभा में लाकर अधिकारी और कर्मचारी वर्ग को भ्रष्टाचार से बचाने की कोशिश में लगी हुई थी। पत्रिका ने आम व्यक्ति की आवाज बुलंद करते हुए काले कानून के खिलाफ एक अभियान चलाया और आखिर पत्रिका के प्रयासों के आगे राज्य सरकार को झुकना पड़ा।
डॉ. बालकृष्ण पंवार, वरिष्ठ चिकित्सक।

पत्रिका के साथ साथ लोकतंत्र जीता
काले कानून के खिलाफ राजस्थान पत्रिका ने जिस निडरता के साथ सरकार के खिलाफ अडिग रहते हुए कदम उठाया वह पत्रिका और लोकतंत्र की जीत है। सरकार के खिलाफ खुलकर आना सही मायने में पत्रकारिता है।
सुनीता कौशिक, गृहिणी
पत्रिका को साधुवाद
राज्य सरकार ने जो यह काला कानून वापस लिया है, उसके पीछे केवल राजस्थान पत्रिका के प्रयास एक मात्र कारक है। पत्रिका ने इस मुद्दे को मजबूती से थामे रखा । लगातार इसे लेकर विरोध जताया और इसी का परिणाम है कि सरकार ने इसे वापस ले लिया। राज्य सरकार के इस निर्णय के लिए राजस्थान पत्रिका कोटि-कोटि धन्यवाद की पात्र है। श्रीकृष्ण बिश्नोई, सेवानिवृत्त प्राचार्य।

Home / Sri Ganganagar / ‘काला कानून का निर्णय गलत

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो