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गांव 12 जी छोटी की सुमन का कहना था कि किसानों के साथ काम सीखने के दौरान उन्होंने पाया कि काफी किसान जिज्ञासा रखते हैं और कोई समस्या नजर आने पर विशेषज्ञों से सम्पर्क की कोशिश करते हैं। अलवर के महेशचंद्र मीणा के अनुसार परम्परागत खेती के स्थान पर किसान नई तरह की खेती करना चाहते हैं और इसके लिए अतिरिक्त मेहनत करने को तत्पर हैं।
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श्रीगंगानगर, गजसिंहपुर एवं बीकानेर के तीन कृषि महाविद्यालयों के स्नातक के आखिरी चरण के 49 विद्यार्थियों ने ग्रामीण उद्यमिता जागरुकता विकास योजना में 56 दिन तक केंद्र में प्रशिक्षण लिया। इसके अंतर्गत इन्हें अलग-अलग समूह में मिर्जेवाला, साधुवाली, कालूवाला, नेतेवाला, फतूही एवं ख्यालीवाला में भी भेजा गया। अनुसंधान केंद्र के अलावा किसानों के साथ खेतों में उन्होंने कामकाज को नजदीक से देखा।
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बड़े सपने देखने की सीख
अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. उम्मेदसिंह शेखावत ने प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम में कृषि विद्यार्थियों को बड़े सपने देखने और फिर उन्हें पूरा करने के लिए जी जान से जुटने की सीख दी। उन्होंने कहा कि कृषि कार्य बहुत महत्वपूर्ण हंै। प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. बीएस मीणा ने भी विचार रखे, विद्यार्थी सुचित्रा ने अनुभव सांझा किए।