श्रीगंगानगर. मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती होने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए केवल सात वेटिंग बेड गैलरी में लगे हुए हैं। एेसे में यहां प्रतिदिन 25 से 30 गर्भवती महिलाएं आती हैं, जिन्हें जमीन पर लेटकर या बाहर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। गायनी में एसएस और जेएस के पद खाली पड़े हैं। पचास बेड मंजूर हुए हैं लेकिन इनका इंतजार चल रहा है। जिला अस्पताल में प्रतिमाह 400 से 500 डिलीवरी होती है।
केसरीसिंहपुर. सीएचसी पर महिला चिकित्सक का अभाव है। प्रसव के लिए आने वाली अधिकांश महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है। यहां प्रसव की सुविधाएं होने के बावजूद स्टाफ किसी तरह की रिस्क नहीं लेता। सामान्य स्थिति में कभी-कभार स्टाफ प्रसव करवा देता है। यहां शिशु रोग विशेषज्ञ भी नहीं है।
श्रीकरणपुर. चिकित्सालय में महिला रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त चल रहा है। सामान्य प्रसव होते हैं और गंभीर होने पर रेफर किया जाता है। जो भी महिला नर्सिंग कमियों के भरोसे हैं। महिला चिकित्सक के अभाव में नियमित जांच, सिजेरियन या अन्य जटिलता होने पर निजी अस्पताल या श्रीगंगानगर जाना पड़ता है। चिकित्सा प्रभारी डॉ.नीरज अरोड़ा ने बताया कि महिला चिकित्सक के लिए अधिकारियों को हर अवगत कराया जाता है।
अनूपगढ़. यहां महिला रोग विशेषज्ञ और सर्जन का पद लंबे समय से खाली पड़ा हुआ है। यहां प्रतिमाह करीब १३० डिलीवरी कराई जाती है। डिलीवरी में सर्जन की आवश्यकता पडऩे पर महिला को रेफर कर दिया जाता है। सर्जन के अभाव में हर माह बड़ी संख्या में महिलाआें को रेफर किया जाता है। यहां शिशुरोग विशेषज्ञ है लेकिन प्री मेच्योर डिलीवरी होने पर नवजातों को रेफर कर दिया जाता है।