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श्री गंगानगर

Video : ऱेफरल अस्पताल बन गए सीएचसी व पीएचसी

जिले के शीर्ष अस्पताल सहित अन्य पीएचसी और सीएचसी पर बेडों के अभाव के चलते गर्भवती महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ती है।

श्री गंगानगरSep 17, 2017 / 08:33 pm

vikas meel

Government Hospital

Government Hospital

जिले के शीर्ष अस्पताल सहित अन्य पीएचसी और सीएचसी पर बेडों के अभाव के चलते गर्भवती महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ती है। कहीं महिला चिकित्सकों की कमी है तो, किसी स्थान पर शिशुरोग विशेषज्ञों का अभाव है। एेसे में सीएचसी और पीएचसी रेफरल अस्पताल बनकर रह गए हैं। इसी पर आधारित ग्राउंड रिपोर्ट-
गर्भवती महिलाएं जमीन पर लेटकर करती हैं इंतजार
श्रीगंगानगर. मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती होने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए केवल सात वेटिंग बेड गैलरी में लगे हुए हैं। एेसे में यहां प्रतिदिन 25 से 30 गर्भवती महिलाएं आती हैं, जिन्हें जमीन पर लेटकर या बाहर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। गायनी में एसएस और जेएस के पद खाली पड़े हैं। पचास बेड मंजूर हुए हैं लेकिन इनका इंतजार चल रहा है। जिला अस्पताल में प्रतिमाह 400 से 500 डिलीवरी होती है।
महिला चिकित्सक का अभाव
केसरीसिंहपुर. सीएचसी पर महिला चिकित्सक का अभाव है। प्रसव के लिए आने वाली अधिकांश महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है। यहां प्रसव की सुविधाएं होने के बावजूद स्टाफ किसी तरह की रिस्क नहीं लेता। सामान्य स्थिति में कभी-कभार स्टाफ प्रसव करवा देता है। यहां शिशु रोग विशेषज्ञ भी नहीं है।
टीकाकरण की व्यवस्था तक नहीं

मोरजंडखारी. पीएचसी में टीकाकरण की व्यवस्था तक नहीं है। गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने के लिए आसपास की पीएचसी से चिकित्सक बुलाया जाता है। मम्मडखेड़ा पीएचसी पर चिकित्सक का अभाव है। यहां डेढ़ करोड़ से बना भवन तैयार है लेकिन उसका लोकार्पण नहीं हो पाया।

नर्सिंग कर्मियों के भरोसे प्रसव
श्रीकरणपुर. चिकित्सालय में महिला रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त चल रहा है। सामान्य प्रसव होते हैं और गंभीर होने पर रेफर किया जाता है। जो भी महिला नर्सिंग कमियों के भरोसे हैं। महिला चिकित्सक के अभाव में नियमित जांच, सिजेरियन या अन्य जटिलता होने पर निजी अस्पताल या श्रीगंगानगर जाना पड़ता है। चिकित्सा प्रभारी डॉ.नीरज अरोड़ा ने बताया कि महिला चिकित्सक के लिए अधिकारियों को हर अवगत कराया जाता है।
सिजेरियन की नहीं व्यवस्था
अनूपगढ़. यहां महिला रोग विशेषज्ञ और सर्जन का पद लंबे समय से खाली पड़ा हुआ है। यहां प्रतिमाह करीब १३० डिलीवरी कराई जाती है। डिलीवरी में सर्जन की आवश्यकता पडऩे पर महिला को रेफर कर दिया जाता है। सर्जन के अभाव में हर माह बड़ी संख्या में महिलाआें को रेफर किया जाता है। यहां शिशुरोग विशेषज्ञ है लेकिन प्री मेच्योर डिलीवरी होने पर नवजातों को रेफर कर दिया जाता है।
महिला एवं शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं

राजियासर. टिब्बा क्षेत्र की एक मात्र सीएचसी संसाधानों व स्टाफ की कमी से जूझ रही है। महिला रोग विशेषज्ञ का अभाव होने के कारण महिलाओं को परेशानी हो रही है। यहां महिलाएं पुरुष चिकित्सक से इलाज करवाने में संकोच करती हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण बच्चों को इलाज के लिए सूरतगढ़ रेफर करना पड़ता है। यहां वार्मर व ऑक्सीजन की सुविधा है लेकिन एमसीएचयू वार्ड की कमी है। इसके चलते लोगों को परेशानी होती है।
तबीयत बिगड़ते ही करते हैं रेफर

रायसिंहनगर. यहां भी महिला चिकित्सक का अभाव होने के कारण पुरुष चिकित्सक डिलीवरी कराते हैं। एेसे में प्रसूताओं की तबीयत बिगडऩे पर रेफर करना पड़ता है। यहां ऑपरेाश्न की भी व्यवस्था नहीं है। यहां प्रसूताओं के लिए वार्ड भी दूसरी मंजिल पर बना हुआ है। इसके चलते प्रसूताओं को ऊपर जाने में भारी परेशानी होती है।
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