गहनता से छानबीन करने पर संदीप नामक परीक्षार्थी की उत्तर पुस्तिका तो मिली। लेकिन पूरक उत्तर पुस्तिका नहीं थी। इस पर केन्द्राधीक्षक अरोड़ा ने परीक्षार्थी और उसके स्कूल का पता लगवाया तो वह श्रीबिजयनगर के एक प्राइवेट स्कूल का छात्र निकला। इस छात्र के घर से पूरक उत्तर पुस्तिका मंगवाई गई। छात्र और
उसके परिजनों ने अपनी गलती लिखित में देने की बजाय कॉपी प्राचार्य की टेबल पर रखी और वहां से रवाना हो गए। प्राचार्य ने घटनाक्रम की सूचना माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी। बाद में उन्होंने सीसीटीवी की फुटेज भी बोर्ड और जिला शिक्षा अधिकारी को भिजवा दी, जिसमें पूरा घटनाक्रम स्पष्ट है।
ड्डपहले एक्सीलेंट फिर हटाया जिस दिन यह वाकया हुआ उसी दिन इस परीक्षा केन्द्र का एडीईओ यशपाल असीजा ने निरीक्षण किया था और और उन्होंने विजिटर बुक में केन्द्राधीक्षक को एक्सीलेंट सम्बोधित किया था। इसके आधे घंटे बाद पूरक उत्तर पुस्तिका की बात सामने आने पर केन्द्राधीक्षक को हटा दिया। केन्द्राधीक्षक अरोड़ा ने
पत्रिका को बताया कि जो परीक्षा की जो प्रक्रिया है उसमें उत्तरपुस्तिकाएं एकत्र करने और उनकी जांच करने और केन्द्राधीक्षक के कार्यालय तक पहुंचाने की जिम्मेदारी वीक्षक और सुपरवाइजर की होती है। इस मामले में वीक्षक ने चूक होने की बात स्वीकार की है।