अब नगर परिषद, नगर विकास न्यास और इलाके के जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति हो जाएं तो लंबे समय से इंदिरा वाटिका में फिर से नौकायान की योजना शुरू हो सकती है। इस नाव चलाने की अनूठी योजना से नगर परिषद को प्रति टिकट की दर से राजस्व मिलेगा।
वहीं बच्चों के लिए शहर के बीचों बीच इस योजना से फायदा हो सकेगा। लॉक डाउन के कारण अधिकांश बच्चे घूमने के लिए बाहर भी नहीं जा पाए है, एेसे में शहर मे ही बोटिँग का आनंद मिल सकेगा।
इस वाटिका में वर्ष 2000 में नौकायान चलाने के लिए तरणताल बनाया गया था। इस नौकायान स्थल का लोकार्पण 3 जनवरी 2001 को तत्कालीन और मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने किया था।
यूआइ्रटी के तत्कालीन और मौजूदा विधायक राजकुमार गौड़ के इस ड्रीम योजना से इलाके के बच्चों को पहली बार बोटिँग करने का मौका मिला था। लेकिन उसके बाद यह नौकायान महज आठ माह बाद बंद कर दिया गया था।
अब फिर से यह सरोवर शुरू हो जाएं तो बच्चों को मनोरंजन के लिए शहर के अंदर ही यह स्थल दर्शनीय के रूप में विकसित हो सकता है। पिछले सवा साल से कोरोना प्रकोप के कारण बच्चों पर लगी पाबंदियां अधिक कष्टदायक होने लगी है।
शिक्षण संस्थाएं बंद होने से अधिकांश बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से पढऩे को मजबूर है। एक साथ खेलने का प्लेटफार्म भी नजर नही आ रहा है। यहां तक कि अभिभावक भी बाहर घूमाने के लिए कोरोना की वजह बता कर बच्चों को चुप करवा रहे है।
यदि यह बाल नौकायान सरोवर संचालित होता तो बच्चों के लिए अधिक फायदेमंद होता। इंदिरा वाटिका के बीचोंबीच इस सरोवर से छोटे बच्चों के लिए यह रमणीय स्थल बन सकता था। लेकिन अब खाली पड़े इस सरोवर की सफाई तक नहीं होती है।
इस पार्क का क्षेत्राधिकार अब नगर परिषद को छह साल पहले नगर विकास न्यास प्रशासन ने जवाहरनगर सहित अधिकांश विकसित एरिया खुद की बजाय नगर परिषद के अंतरित कर दिया है। इस इंदिरा पार्क की सार संभाल भी अब नगर परिषद के जिम्मे है। इस पार्क के अंदर सरोवर को संचालित करने या नहीं करने का अधिकार भी परिषद प्रशासन करेगा।