हर समाज के पदाधिकारियों की पूछ
दोनों पक्ष प्रत्येक समाज के पदाधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं। चांडक परिवार ने जहां नगर परिषद के ठेकेदारों, समाज अध्यक्षों, पदाधिकारियों के अलावा वार्डों में पार्षदों की टोलियां बनाकर रामलीला मैदान में हजारों की भीड़ जुटाने का दावा किया है। वहीं, महावीर दल मंदिर कमेटी ने बाजार क्षेत्र में दुकानदारों और व्यापारियों से विभिन्न समाज के लोगों से संपर्क साधा है।
अब हर साल आयोजन कराएंगे
इस साल से नगर परिषद ने दशहरा आयोजन कराने का निर्णय लिया है। जिस कमेटी ने अब तक यह आयोजन किया, वो उनके स्तर पर था। इसे सामूहिक कार्यक्रम मनाने की तैयारियां की गई है। यह शक्ति प्रदर्शन नहीं है। प्रचार प्रसार कर अधिकाधिक लोगों को जोडऩे का काम किया जा रहा है।
अजय चांडक, सभापति, नगर परिषद
हमने पूर्व में मांगी थी मंजूरी
&पुरानी बातों को भूलकर जुलाई में सभापति को सबसे पहला न्यौता दिया था। इसके बाद पुतले बनाने के लिये कारीगरों को बुलाया गया था। ऐनवक्त पर नगर परिषद ने अलग दशहरा मनाने का कार्यक्रम बनाया। महावीर दल मंदिर कमेटी 67 साल से यह आयोजन कर रही है, अब अचानक परिषद को दशहरा पर्व याद आ गया, समझ से परे है।
सीताराम शेरेवाला,
कोषाध्यक्ष, श्रीसनातन धर्म महावीर दल मंदिर कमेटी
सोशल मीडिया का सहारा
दोनों गुट फेसबुक और वाट्सएप के जरिये दर्शक जुटाने में लगे हुए हैं। मोबाइल पर मैसेज भी किये जा रहे हैं। दोनों जगहों पर लाइव कवरेज के लिए बाकायदा एक्सपर्ट लोगों की टीम भी बनाई है जो पूरे कार्यक्रम को मोबाइल पर लाइव करेगी।
पचास लाख का बजट
दोनों पक्षों ने प्रचार-प्रसार के अलावा दर्शकों को लुभाने के लिए कई पुरस्कार भी रखे हैं। दोनों पक्षों के सलाहकारों की मानें तो आयोजनों में करीब पचास लाख रुपये खर्च किये जाएंगे। इसमें पुतलों बनाने से लेकर दर्शकों के बैठने की व्यवस्था का खर्चा शामिल है। रंग बिरंगे निमंत्रण पत्र, पम्फलेट, पोस्टर होर्डिंग्स आदि भी तैयार कर हर घर में पहुंचाने का दावा किया जा रहा है।
यहां भी होड़
रावण परिवार के पुतले बनने की भनक जब चांडक परिवार को मिली तो इस बार खुद ही आयोजन करने का निर्णय ले लिया। महावीर दल मंदिर कमेटी के लोगों ने जिला प्रशासन से अब तक कराए गए आयोजनों की दुहाई दी, लेकिन कागजी प्रक्रिया में सभापति आगे निकल चुके थे। ऐसे में रामलीला मैदान की मजंूरी नहीं मिल पाई।