सुपर क्रिटिकल इकाइयों के कोल हैंडलिंग प्लांट के अधिकारियों के अनुसार रविवार को यार्ड में मात्र 30 हजार मीट्रिक टन कोयला स्टॉक ही शेष बचा था। जो वर्तमान में उत्पादन कर रही 660 मेगावाट की सातवीं इकाई और परीक्षण के तौर पर उत्पादन कर रही 660 मेगावाट की आठवीं इकाई के लिए दो दिन ही पर्याप्त होगा।
सुपर क्रिटिकल दोनों इकाइयों से बिजली उत्पादन के लिए रोजाना 15 से 16 हजार मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता होती है लेकिन वर्तमान में मात्र दो कोयला रैक (7 हजार मीट्रिक टन) ही परियोजना में पहुंच रहा है। जो खपत का आधा भी नहीं है।
सुपर क्रिटिकल थर्मल के मुख्य अभियंता बी कुमार ने बताया कि कोयला आपूर्ति में सुधार के लिए जयपुर मुख्यालय को अवगत करवाया गया है। उन्होंने बताया कि सुपर क्रिटिकल थर्मल के लिए तीन गाडिय़ां लोड हुई है। उनके मंगलवार तक परियोजना में पहुंचने की उम्मीद है।
नव निर्मित सुपर क्रिटिकल इकाइयों का कोल हैंडलिंग प्लांट पूरी तरह से तैयार नहीं होने से कोयले की गाडिय़ां सीधे सुपर क्रिटिकल इकाइयों में खाली नहीं हो सकती। कोयला खदानों से आने वाले कोयले के रैक पहले 1500 मेगावाट की पुरानी परियोजना में खाली होते है। इन्हें ट्रकों से सुपर क्रिटिकल इकाइयों के कोल यार्ड में लाया जाता है। एक रैक कोयला परिवहन में करीब 4 से 5 घंटे लगते हैं।