लेकिन इस सैनेटाइजर की पैकिंग गलफत में डाल रही है, ऐसे में जिला कलक्टर शिव प्रसाद मदन नकाते ने हनुमानगढ़ शुगर मिल को आमजन के लिए बिकने के दौरान इसका रंग और खुशबूदार महक तैयार करने के निर्देश दिए है।
कलक्टर ने स्वीकारा कि देसी मदिरा के पव्वे की पैकिंग होने के कारण कई लोग इसे पव्वा समझकर पीने की गलती कर सकते है, ऐसे में इसका कलर बदलने के लिए निर्देश दे दिए गए है। वहीं ग्वारपेठा और गुलाबजल जैसे उत्पाद डालकर इसे खुशबूदार बनाया जा सकता है। कोरोना वायरस के कारण लागू यह नई व्यवस्था लॉक डाउन तक जारी रहने की उम्मीद है।
फिलहाल हनुमानगढ़ के इस प्लांट पर 180 एमएल की शीशी तैयार कर नि:शुल्क बांटी जा रही है। शुगर मिलों में उत्पादन शुरू होने के बाद हैंड सेनेटाइजर की कालाबाजारी में कमी आई है।दो लाख दस हजार सैनेटाइजर का उत्पादन हनुमानगढ़ में दो लाख दस हजार नग हैंड सेनेटाइजर बनाकर प्रदेश के विभिन्न जिलों को आपूर्ति करवा दी गई है। पांच हजार शीशी का स्टॉक अभी हनुमानगढ़ शुगर मिल्स के गोदाम में पड़ा है। हैंड सेनेटाइजर बनाने में 70 प्रतिशत स्प्रिट की खपत होती है।
हनुमानगढ़ में रीको क्षेत्र में स्थित शुगर मिल्स के गोदाम में देसी शराब बनाने का काम होता है। यहां पर प्रति दिन डेढ़ लाख पव्वे देसी शराब बनाने की क्षमता वाली मशीनें लगी हैं। रूटीन में यहां पर देसी शराब के पव्वे बनाकर हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिलों में सप्लाई दी जाती है।
इस हैंड सैनेटाइजर को सरकारी विभागों में निशुल्क बांटा जा रहा है। लेकिन यह बाजार में आमजन के लिए भी उपलब्ध हो सकेगा। 180 एमएल के इस पैकिंग हैंड सैनेटाइजर की कीमत पचास रुपए आंकी जा रही है। श्रीगंगानगर में दो थोक विक्रेताअेां को यह आपूर्ति उपलब्ध होगी, वहां से आमजन के लिए पहुंचाई जाएगी।
इस बीच जिला कलक्टर शिव प्रसाद मदन नकाते ने स्वीकारा कि देसी मदिरा पव्वे की पैकिंग में हैंड सैनेटाइजर तैयार करवाकर हनुमानगढ़ से आए है। इसे कुछ लोग देसी मदिरा पव्वा समझकर पीने का कदम उठाने से जानलेवा हो सकता है।
इस पहलू को ध्यान में रखते हुए अब इसका रंग और महक में बदलाव आएगा। आमजन के लिए यह हैंड सैनेटाइजर पचास रुपए की कीमत पर जल्द उपलब्ध हो सकेगा।