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श्री गंगानगर

धरतीपुत्रों पर दोहरी मार, कम कीमत या फिर लंबा इंतजार

देश-प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग होने के कारण फसलें अलग-अलग समय पर पकती हैं लेकिन विडंबना यह है कि सरकारी मूल्य पर खरीद शुरू होने का समय एक ही है। ऐसे में जिस जगह फसल पककर पहले तैयार होती है, वहां के किसानों को या तो सरकारी खरीद का इंतजार करना पड़ता है या फिर उपज कम कीमत पर बाजार में बेचनी पड़ती है। दृ़श्य एक- श्रीगंगानगर जिले में मूंग की काफी उपज मंडियों में बेची चुकी है जबकि समर्थन मूल्य पर खरीद एक नवंबर से शुरू होगी। दृश्य दो- हनुमानगढ़ जिले में धान की आवक शुरू हो चुकी है लेकिन समर

श्री गंगानगरOct 26, 2021 / 07:52 pm

yogesh tiiwari

धरतीपुत्रों पर दोहरी मार, कम कीमत या फिर लंबा इंतजार

धरतीपुत्रों पर दोहरी मार, कम कीमत या फिर लंबा इंतजार

महेन्द्र सिंह शेखावत
श्रीगंगानगर. देश-प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग होने के कारण फसलें अलग-अलग समय पर पकती हैं लेकिन विडंबना यह है कि सरकारी मूल्य पर खरीद शुरू होने का समय एक ही है। ऐसे में जिस जगह फसल पककर पहले तैयार होती है, वहां के किसानों को या तो सरकारी खरीद का इंतजार करना पड़ता है या फिर उपज कम कीमत पर बाजार में बेचनी पड़ती है। प्रदेश में मूंग एवं धान की खरीद एक नवंबर से शुरू होगी जबकि बाजार में दोनों ही उपज की आवक शुरू हो चुकी है। खरीद नियमों के अनुसार कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत मूंग की सरकारी खरीद ही की जाएगी। विदित रहे कि समर्थन मूल्य घोषित करने के बाद भी सरकार खरीद करे यह भी सुनिश्चित नहीं है। खरीद करने के बाद भी प्रयास यह रहते हैं कि कम से कम फसल खरीद की जाए। इसके लिए भी विभिन्न तरह की शर्तें लागू कर दी जाती है। सबसे बड़ी बात समर्थन मूल्य पर खरीद समयानुसार शुरू नहीं होती।
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इनका कहना है
मूंग की खरीद अक्टूबर में शुरू हो जानी थी लेकिन सरकार की तरफ से एक नवंबर से खरीद शुरू करने की घोषणा की है। इसी प्रकार बाजरे का समर्थन मूल्य तय करने के बावजूद खरीद नहीं की जाती। सरकार को उपज पर उचित मूल्य तय कर समर्थन मूल्य तय कर किसानों को राहत देते हुए समय से खरीद शुरू करनी चाहिए।
-गुरविंद्र जाखड़, किसान,अनूपगढ़
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सरकार ने एक नवंबर से खरीद शुरू करने की घोषणा की है जबकि सितंबर के पहले सप्ताह में मूंग की कटाई शुरू हो जाती है व सितंबर के अंत तक बाजार में फसल बिकने के लिए आ जाती है। किसान अपना मूंग बेच चुके हैं। खरीद देरी से शुरू होने के कारण किसानों को लगभग 1200 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हुआ है।
-सुनील गोदारा, किसान नेता, अनूपगढ़
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सरकार को चाहिए कि वह समर्थन मूल्य घोषित करने के साथ ही सभी खरीद केंद्रों पर बारदाने की व्यवस्था करे ताकि समय पर फसलों की सरकारी खरीद शुरू हो सकेगी। किसानों को अभी फसल बेचने पर मूंग में करीब 1200 रुपए और धान में चार सौ रुपए प्रति क्विंटल नुकसान हो रहा है।
-कुलविंदर ढिल्लो, किसान, हनुमानगढ़
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कम है बाजार की कीमत
हनुमानगढ़ बाजार में अभी मूंग 4800 से 6000 प्रति क्विंटल बिक रहा है जबकि समर्थन मूल्य 7275 रुपए है। अभी धान 1650 से 1700 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। इसका समर्थन मूल्य 1960 रुपए निर्धारित है।
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खरीद देरी से शुरू होने के कारण
-सरकारी तंत्र की लापरवाही
-खरीद एजेंसी की समय पर तैयारी नहीं
-खरीद केन्द्रों का देरी से खुलना
-कभी समय पर बारदाना नहीं पहुंचना
-कभी टेंडर की अड़चन भी आती है आड़े
-बरसात आने से फसलों में नमी आना
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देरी से खरीद का किसानों को नुकसान
-किसान अपनी उपज निकालते ही बाजार में बेचना चाहता है, देरी से खरीद शुरू होने के कारण किसान बाजार भाव पर बेचान कर जाते है। इससे आर्थिक नुकसान वहन करना पड़ता है।
-उपज निकालने के बाद समर्थन मिलने के इंतजार में किसान फसल बिकने का इंतजार करता है। फसल की नमी खत्म होती और उपज का वजन भी घटता है।
-किसान के पास उपज को रखने के लिए भंडारण का स्थान नहीं होता है। मौसम की मार भी झेलनी पड़ती है।
-नियमों की पेचीदगी के कारण कई बार तो किसान व्यापारी को ही फसल बेच देता है।
-किसानों को मंडी में आने के बाद भी फसल को बेचने के लिए उसे इंतजार करना पड़ता है।

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