श्री गंगानगर

राजस्थान के इस बड़े अस्पताल में आंख का डॉक्टर कर रहा कान का इलाज

श्रीगंगानगर राजकीय जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी कुछ इस कदर बढ़ती जा रही है कि विभाग चिकित्सकों की कामचलाऊ व्यवस्था करने लगा है।

श्री गंगानगरOct 15, 2017 / 02:38 pm

santosh

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श्रीगंगानगर। राजकीय जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी कुछ इस कदर बढ़ती जा रही है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग चिकित्सकों की कामचलाऊ व्यवस्था करने लगा है। अजीब हालात यह है कि जिला मुख्यालय के 360 बैड वाले इस चिकित्सालय में कान के उपचार के लिए डॉक्टर ही नहीं है।
 

एेसे में आंख के उपचार करने वाले डॉक्टर की सेवाएं वहां ली जा रही है। स्थिति यह है कि आंख के चिकित्सक को कान की गंभीर बीमारियों के बारे में ज्यादा पता ही नहीं है, एेसी में छोटी-मोटी बीमारियों का तो वह उपचार कर देता है लेकिन गंभीर बीमारी होने की स्थिति में वह उपचार करने की स्थिति में ही नहीं होता।
 

बताया जाता है कि एेसा नहीं है कि ईएनटी विभाग में चिकित्सक नियुक्त ही नहीं है। यहां चिकित्सक के रूप में डॉ. आरके अरोड़ा नियुक्त है लेकिन वे प्राय: शिविराें के राजकीय दायित्व के निर्वहन में व्यस्त रहते हैं, एेसे में राजकीेय चिकित्सालय में आने वाले रोगियों को परेशान होना पड़ता है। रोगियों की परेशानी को देखते हुए ही विभाग ने यहां विशेषज्ञ चिकित्सक नियुक्त नहीं हेने पर नेत्र विशेषज्ञ डॉ. टेकचंद को नियुक्त किया है।
 

करते हैं ईएनटी में ड्यूटी
राजकीय चिकित्सालय के हालात ही एेसे हैं कि यहां कान के विशेषज्ञ की व्यवस्था ही नहीं है। एेसे में नेत्र रोग चिकित्सक होने के बावजूद ईएनटी विभाग में लंबे समय से ड्यूटी देनी पड़ रही है। यहां सामान्य रोगों का उपचार तो कर देते हैं लेकिन गंभीर रोगी आने पर कान संबंधी मामलों की ज्यादा जानकारी नहीं होने से परेशानी आती है।
-डॉ. टेकचंद, नेत्र रोग विशेषज्ञ, राजकीय जिला चिकित्सालय
 

डॉक्टर प्राय: शिविरों में
हमारे यहां ईएनटी विभाग में कान के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. आरके अरोड़ा हैं, लेकिन राजकीय दायित्वों के निर्वहन में वे प्राय: शिविरों आदि में व्यस्त रहते हैं, एेसे में रोगियों को परेशानी नहीं हो, इसे देखते हुए आंख के चिकित्सक को ईएनटी विभाग में कुछ समय से लगा रहे हैं। वे सामान्य उपचार तो कर पाते हैं लेकिन गंभीर रोग की स्थिति में उन्हें परेशानी होती है। चिकित्सालय में दो ईएनटी चिकित्सकों की जरूरत है।
-डॉ. प्रेम बजाज, उपनियंत्रक, राजकीय जिला चिकित्सालय, श्रीगंगानगर

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