किसानों ने कपास की खेती से की तौबा, लक्ष्य की पचास बुवाई ही नहीं
-श्रीगंगानगर खंड में 1,47,375 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही कपास की बुवाई
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- श्रीगंगानगर. पिछले वर्ष गुलाबी सुंडी के प्रकोप से श्रीगंगानगर खंड में कपास की खेती 33 से 100 प्रतिशत तक बर्बाद हो गई थी। इसी डर के चलते किसानों ने इस बार कपास की खेती से एक तरह से तौबा कर ली। हालत यह है कि श्रीगंगानगर, अनूपगढ़ व हनुमानगढ़ जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2 लाख 73 हजार 165 हेक्टेयर कम रकबा में कपास की बुवाई हुई है। श्रीगंगानगर खंड में एक लाख 47 हजार 375 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही कपास की बुवाई हुई है। पिछले वर्ष इस खंड में 4 लाख 20 हजार 540 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कपास की बुवाई हुई थी। पिछले तीन वर्ष से श्रीगंगानगर खंड में मूंग व ग्वार का उत्पादन और गुणवत्ता ज्यादा ठीक नहीं रही। इस कारण किसानों का कपास की तरफ रुझान ठीक रहा, लेकिन अब कपास की खेती में भी दिलचस्पी कम दिखाई।
इस बार दो माह की नहरबंदी भी नहीं ली
- जल संसाधन विभाग कपास की बुवाई के समय पिछले छह वर्ष से दो माह तक आइजीएनपी व भाखड़ा में नहरबंदी ले रहा था। इसका प्रभाव कपास की बुवाई पर पड़ रहा था, लेकिन इस बार विभाग ने नहरबंदी भी नहीं ली।
कॉटन की बुवाई का समय - कॉटन की बुवाई का उचित समय-20 अप्रेल से 20 मई
- कॉटन की लेट बुवाई-30 मई तक
श्रीगंगानगर जिले में कॉटन की बुवाई का गणित
- -कॉटन की बुवाई का लक्ष्य-1,97,500 हजार हेक्टेयर
- -देशी कॉटन-1428 हेक्टेयर
- -अमरीकन कॉटन-1994 हेक्टेयर
- -बीटी कॉटन-89,696 हेक्टेयर
- -कुल कॉटन की बुवाई-93,115 हेक्टेयर
- -गत वर्ष जिले में कॉटन की बुवाई-2,21,900 हेक्टेयर
- -गत वर्ष की तुलना में बुवाई का अंतर-1,28,785 हेक्टेयर
हनुमानगढ़ जिले में कॉटन की बुवाई का गणित
- -कॉटन की बुवाई का लक्ष्य-2,25,000 हजार हेक्टेयर
-देशी कॉटन-1671 हेक्टेयर - -अमरीकन कॉटन-1441 हेक्टेयर
- -बीटी कॉटन-51,148 हेक्टेयर
- -कुल कॉटन की बुवाई-54,260 हेक्टेयर
- -गत वर्ष जिले में कॉटन की बुवाई-1,98,640 हेक्टेयर
- -गत वर्ष की तुलना में बुवाई का अंतर-1,35,280 हेक्टेयर
श्रीगंगानगर खंड
- कॉटन बुवाई का रकबा
- वर्ष बुवाई हेक्टेयर
- 2021-22 3,04564
- 2022-23 3,62,909
- 2023-24 4,20,540
- 2024-25 1,47,375
- गत वर्ष से कम बुवाई 2,73,165 हेक्टेयर
बुवाई बढ़ने व घटने के कारण
कृषि विभाग के उप-निदेशक (एटीसी)हनुमानगढ़ मिलिंद सिंह के अनुसार पिछले तीन साल कॉटन की बुवाई बढऩे का मुख्य कारण ,ग्वार व मूंग की पिछले दो वर्ष में उत्पादन व गुणवत्ता का बेहतर नहीं होना तथा डिग्गियों में जल भंडारण व ट्यूबवेल से सिंचाई रहा। इस बार कॉटन की बुवाई कम होने का मुख्य कारण , गुलाबी सुंडी,आंधी व तूफान से पिछले साल कॉटन 20 से 90 फीसदी फसल बर्बाद हुई। पिछले तीन वर्ष से कॉटन का भाव अपेक्षाकृत कम ही रहा। इसके अलावा कॉटन में टिंडा गलन रोग से कॉटन की फसल काफी मात्रा में खराब हुई। - पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कपास की बुवाई कम हुई है। 20 मई तक बुवाई के डाटा के अनुसार इस बार खंड में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में ही कपास की बुवाई हुई है। पिछले वर्ष अमरीकन कपास व बीटी कपास में गुलाबी सुंडी से काफी खराबा हुआ था। इस कारण इस बार किसान कपास की खेती से दूर होता जा हा है। कपास के विकल्प के तौर पर किसान इस बार मूंग, ग्वार, धान व गन्ना आदि की खरीफ की फसल की बुवाई करेगा।
सतीश शर्मा,अतिरिक्त निदेशक (कृषि) विस्तार,श्रीगंगानगर खंड।
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