यही कारण रहा कि दिनभर में जिलेभर के विभिन्न थानों की पुलिस ने 70 से अधिक ओवरलोड जीप, टेम्पो, बस व अन्य सवारी वाहनों को जब्त कर लिया। पुलिस की कार्रवाई से अन्य दिनों में धड़ल्ले से ओवरलोड वाहनों का संचालन करने वाले चालकों में हड़कम्प मच गया।
कार्रवाई के चलते अधिकतर मार्गों पर निजी सवारी वाहनों का संचालन भी बंद रहा। इसके चलते लोगों को भी थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ी। गौरतलब है कि शनिवार को हादसे में जीप की छत व बोनट पर बैठे लोगों में से तीन की मौत हो गईथी तथा पांच अन्य घायल हो गए थे। ग्रामीणों ने पुलिस द्वारा नियमित कार्रवाई नहीं करने का विरोध करते हुए शवों को नहीं उठाने दिया था।
इसके अलावा राजस्थान पत्रिका के 26 मार्च के अंक में ‘ओवरलोड बना मौत का सबब शीर्षक से समाचार तथा ‘…तो नहीं बुझे किसी घर का चिराग शीर्षक से दो टूक टिप्पणी प्रकाशित कर पुलिस की शिथिलता व बढ़ते ओवरलोड संचालन को उजागर किया था।
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इस पर हरकत में पुलिस अधीक्षक ने सुबह ही सभी थानाप्रभारियों को ओवरलोड वाहनों के खिलाफ सघन अभियान चलाने तथा नियमित रूप से कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए। इसको लेकर जिला पुलिस ने दिनभर सड़कों पर नजरें गढ़ा दी तथा ओवरलोड वाहनों को चालान बनाकर छोडऩे की जगह सीधा ही जब्त करने की कार्रवाई की। इससे निजी सवारी वाहन चालकों में हड़कम्प मच गया।
पुलिस ने दिनभर में करीब 70 ओवरलोड वाहन जब्त किए। इसमें यातायात पुलिस ने 15 तथा सदर थाना पुलिस ने 13 ओवरलोड वाहन जब्त किए। इसी प्रकार अन्य थाना पुलिस ने भ्ज्ञी जब्ती की कार्रवाईकी। पुलिस की कार्रवाई से लोगों को भी आश्चर्य हुआ।
लोगों का कहना था कि हादसे के बाद पुलिस चपलता दिखा रही है। यदि समय रहते ही नियमित कार्रवाईकी जाती तो शनिवार को हादसे में तीन लोगों की जान नहीं जाती। इस दौरान उन्होंने पुलिस की कार्रवाईकी प्रशंसा भी करते हुए नियमित रूप से कार्रवाई किए जाने की मांग की।