शहर में के सैकड़ों क्विंटल कचरे का निस्तारण नहीं होने से समस्या विकराल रूप ले रही है। कचरे के ढेर से होने वाली गंदगी का खमियाजा जनता को ही भुगतना पड़ रहा है। अब सीएम के आदेश पर एलएनपी में खाली पड़ी सरकारी भूमि में प्रस्ताव बनाने का सुझाव दिया गया है। यह क्रियान्वित होगा या नहीं लेकिन वहां भी विरोध के सुर उठने लगे हैं।
इधर, नगर परिषद प्रशासन ने चक 6 जेड के पास अपनी सरकारी भूमि पर कचरा डालने का स्थान बना रखा है, इस भूमि पर पहले मृत पशुओं को डाला जाता था लेकिन ग्रामीणों ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। इसके बाद परिषद ने वहां मृत पशुओं को डालना बंद कर दिया। अब कचरा भी वहां नहीं डाला जा रहा।
इससे पहले मीरा चौक के पास कचरा डाला जाता था। वहां विरोध होने पर पुरानी आबादी वार्ड पांच में गड्ढा क्षेत्र के पास कचरा डालने लगे लेकिन यहां भी पार्षदों ने कचरा उठाव की गाडिय़ों को रुकवा दिया।
पत्र-व्यवहार में बिता दिए साढ़े पांच माह
नेतेवाला के ग्रामीणों ने 16 अक्टूबर 2017 को ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट लगाने का विरोध किया था। इस पर जिला प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड बीकानेर को भिजवा दी। वहां से यह रिपोर्ट ठेका फर्म मैसर्स एलाइड एनर्जी सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली को दी गई। पिछले महीने 16 मार्च को फिर से नगर परिषद प्रशासन ने संबंधित फर्म, राज्य सरकार, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से पत्र व्यवहार किया। इस बीच जिला प्रशासन ने नेतेवाला में ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए फाइल ही बंद कर दी।
ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट शुरू होने से शहर को कचरे से मुक्ति मिलने के साथ-साथ परिषद को रॉयल्टी भी मिलती। लेकिन योजना सिरे नहीं चढऩे से सारी मेहनत पर पानी फिर गया।
-सुनीता चौधरी, आयुक्त, नगर परिषद, श्रीगंगानगर।