मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने वार्ड 25 के पार्षद पवन गौड़ की ओर से दायर इस्तगासे पर कोतवाली पुलिस को स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के प्रमुख शासन सचिव मनजीत सिंह और निदेशक पवन अरोड़ा, नगर परिषद आयुक्त सुनीता चौधरी और दानदाता उद्योग विहार निवासी बजरंगदास जिन्दल (बीडी जिंदल) पुत्र मेघराज अग्रवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने आईपीसी की धारा 406, 420, 409, 166, 167 के तहत मामला दर्ज करने के लिए कोतवाली पुलिस को पाबंद किया है।
पार्षद गौड़ ने इस्तगासे में बताया था कि जिला कलक्टर की अध्यक्षता में वर्षा जल निकासी के लिए बैठक हुई थी। इसमें उद्योगपति दानदाता बीडी जिन्दल भी शामिल हुआ था। जिंदल ने इस बैठक में दस करोड़ रुपए स्वेच्छा से देने की घोषणा की। घोषणा के अनुरूप दानदाता ने पांच करोड़ रुपए का एक चेक 27 अप्रेल 2012 और पांच करोड़ रुपए का दूसरा चेक 11 मई 2012 को नगर परिषद को दिया। जनसहभागी योजना के तहत इस राशि का इस्तेमाल होना था। दानदाता ने अपने पिता के नाम से यह वर्षा जल निकासी योजना रखने का प्रस्ताव रखा था, जिसे मान लिया गया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 9 अप्रेल 2013 को सीवरेज प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। वहीं, एसटीपी से लिंक चैनल तक पाइप लाइन डालने का कार्य भी एजेंसी को दे दिया गया। इसलिए अदालत की ली शरण
बीडी जिंदल जमीदारां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनकी पुत्री फिलहाल श्रीगंगानगर से विधायक है। गौड़ ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक दवाब में नगर परिषद आयुक्त और प्रमुख शासन सचिव ने 22 नवम्बर 2016 को 11 करोड़ 79 लाख 52 हजार 146 रुपए वापस लौटा दिए। राजस्व हानि के आरोप में अधिकारियों के खिलाफ उसने पुलिस अधीक्षक और थाने में गुहार की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इस पर अधिवक्ता संजीव दीक्षित के माध्यम से अदालत में इस्तगासा दायर किया गया।
परिषद बोर्ड ने किया था नामंजूर पिछले साल नगर परिषद बोर्ड की बैठक में आयुक्त सुनीता चौधरी ने दानदाता की राशि वापस लौटाने का प्रस्ताव रखा तो पार्षदों ने एकमत से नामंजूर कर दिया था। पार्षदों का तर्क था कि दान लौटाने का नियम नहीं है। लेकिन, आयुक्त ने इसे दरकिनार करते हुए राशि वापस लौटाने का नोट लगाकर डीएलबी को भेज दिया। इसके बाद दान राशि 10 करोड़ और ब्याज के एक करोड़ 79 लाख 52 हजार 146 रुपए का डीडी बनाकर दानदाता को लौटा दिया गया।