बड़ी बेटी कोमल के चेहरे पर अपने पिता को खोने का गम साफ झलक रहा था लेकिन उसे फक्र था कि उसने अपनी बहनों के साथ मिलकर पिता को कभी बेटे का अहसास भी नहीं होने दिया। सुभाष भाटी कस्बे में किताबों पर जिल्द चढाकर चार पैसे कमाकर अपनी बेटियों को तालीम दिला रहा था। वह अपनी बेटियों को कामयाब बनाना चाहता था लेकिन बीमारी के चलते मजबूरी में उसकी बड़ी बेटी कोमल को बीए के बाद पढाई छोडऩी पड़ गई लेकिन दोनों बाप बेटी ने मिलकर अपनी दूसरी चारों बेटियों की पढाई जारी रखी।
लंबी बीमारी के बाद आखिरकार सुभाष शुक्रवार को दुनिया छोड़ गया। परिवार में वही एक मात्र कमाऊ सदस्य था। पांचों बेटियां उसकी किताबों के काम में मदद तो करती ही थी लेकिन बीमारी में अपने बीमार पिता के इलाज में भी बेटियों ने कोई कमी नहीं छोड़ी। लेकिन नीयती ने पांचों बेटियों के सिर से पिता का साया छीन लिया। ऐसे में घर की बड़ी बेटी कोमल की राह और कठिन हो गई है। सुभाष की छोटी चार बेटियों में से उमंग दसवीं में, आकाश आठवीं में तथा सबसे छोटी बेटी आईना सातवीं में पढती है। चारों बेटियों की पढाई व घर का खर्चा चलाने की सारी जिम्मेदारी कोमल व उसकी मां पर आ गई है।