लेकिन नगर परिषद की भूमि विक्रय शाखा के जिम्मेदार अधिकारियों ने पिछले सवा साल से उसके संबंधित दस्तावेजों के आधार पर प्रमाण पत्र बनाने की बजाय चक्कर लगवा रहे है। यहां तक कि 6400 रुपए का शुल्क लेकर उपविभाजन प्रमाण पत्र देने की बजाय अब आनाकानी कर रहे है।
यहां तक कि यह शुल्क पूर्व में जमा कराया जा चुका है। उसने यह भी आरेाप लगाया कि इस पूरे मामले के बारे में राजस्थान संपर्क और जिला प्रशासन को भी अवगत कराया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आपत्ति सूचना प्रकाशन के नाम पर हजारों रुपए की बंदरबाट मामले की जांच के संबंध में एसीबी को अवगत कराया है।
इधर, नगर परिषद आयुक्त मिलखराज चुघ ने बताया कि संबंधित आवेदक की फाइल तत्कलीन आयुक्त अशोक कुमार असीजा के कार्यकाल में आई थी। असीजा ने रसीद में ही उपविभाजन शुल्क अंकित भी किया हुआ है। इसके बावजूद आवेदक उपविभाजन प्रमाण पत्र बनाने की जिद्द कर रहा है, यह नियम कायदों में नहीं है। इसके बावजूद वह संतुष्ट नहीं है तो व्यक्तिगत शिकायत कर सकता है।