राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हारे कुलदीप इंदौरा को मध्यप्रदेश कांग्रेस में जिम्मेदारी मिली हुई है। लेकिन इंदौरा अनूपगढ़ क्षेत्र में अपनी राजनीति की पारी फिर शुरू करना चाहते है। इंदौरा पायलट गुट के माने जाते है। इस कारण वे प्रदेश की सत्ता में पायलट की वापसी चाहते है। इधर, सादुलशहर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़े और फिर से कांग्रेस में शामिल हुए ओम बिश्नोई भी अब सक्रिय हो गए है। वहीं पूर्व विधायक संतोष सहारण पायलट खेमे के है, वे भी चाहते है कि पायलट की सत्ता में भागीदारी हो तो सरकार में उनकी सुनवाई हो सकेगी। पिछले साल सहारण ने पायलट के कारण जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उधर, श्रीकरणपुर में पूर्व जिलाध्यक्ष पृथीपाल सिंह संधू भी पायलट को मजबूत होने पर फिर से जिलाध्यक्षी की दौड़ में शामिल है। यही स्थिति श्रीगंगानगर विधानसभा क्षेत्र की है। यहां कांग्रेस की टिकट पर लड़े अशोक चांडक भी पायलट गुट के सक्रिय होने के बाद फिर से मजबूत स्थिति में आ सकते है। चांडक खेमे में शामिल नगर परिषद के पूर्व सभापति जगदीश जांदू को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ज्वाइनिंग करने वाले डूंगरराम गेदर को भी इस राजनीतिक घमासान में फायदा मिलने की उम्मीद है। रायसिंहनगर विधानसभा में पूर्व विधायक सोहन नायक को भी राजनीतिक नियुक्तियां में एडजेस्ट होने की आस है।
इस बीच, गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार होने की संभावनाएं है। मौजूदा मंत्रिमंडल में श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले से एक भी मंत्री नहीं है। राजनीतिक सूखाग्रस्त इन दोनों जिलों में से अब श्रीकरणपुर के विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर और हनुमानगढ़ के विनोद कुमार को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इन दोनों के नामों पर कयास शुरू हो चुके है। इसके लिए बकायदा फीडबैक भी गहलोत सरकार के पास पहुंचा है। हालांकि श्रीगंगानगर के विधायक राजकुमार गौड़ के नाम को लेकर भी चर्चाएं है।