इलाके के जानकारों की माने तो श्री विजयनगर, सूरतगढ व अनूपगढ आदि तहसीलें नाली बेल्ट में आती है व इनके सीमावर्ती तहसील लुणकरणसर व छतरगढ टिब्बा बेल्ट में है. जहां गत वर्ष कम बारिस होने से अकाल की स्थिति बनी रहने से अब पशुओं के चारे के भाव आसमान को छू रहे है. इस वजह से यहां के पशुपालक पशुओं सहित माईलऐटी से गोमावाली के रास्ते से रामसिंहपुर, रोजड़ी से घड़साना होते हुये अनूपगढ व अर्जुनसर से एनएच 62 सडक़ से होते हुए सूरतगढ की ओर पलायन कर रहे है.
पशुपालक रामसिंह भाटी, बृजलाल सिहाग, गुमानाराम गोदारा, हेतराम नायक, हरफूलराम मेघवाल आदि लोगों ने बताया कि गत सीजन में पहली बारिस से ग्वार, मोठ व बाजरे की बिजाई की थी. लेकिन नाम मात्र की बारिस होने से फसले नहीं होने के कारण पशुओं के लिये चारे का संकट गहरा गया है. जिससे फिलहाल श्री गगंगानगर से ट्रक व पिकअप गाड़ी वाले तुड़ी 600, ग्वार का नीरा 500 व मूंगफली का चारा 550 से 600 रूपये प्रति क्विटल के भाव से दे रहे है. जिसमें भी आधी मिट्टी मिली होने के कारण मजबूरन नाली बेल्ट में जाना पड़ रहा है.
बीकानेर जिले कि लुणकरणसर व छतरगढ तहसील के मिठडिय़ा, घेसुरा, रामसरा, मोखमपुरा, रामबाग, मलकीसर, भाणसर, खरबारा, महादेववाली, अजीतमाना, खिलेरीयां, रामनगर, कृष्णनगर, दामोलाई, खोखराणा, भडेरण, मनोहरीयां, गुसाईणा, बालादेसर, लालेरा व सुभलाई आदि गांवो के पशुपालक अपने पशु गाय, भैड़ व बकरीयों के साथ नाली बेल्ट में जा रहे है.
टिब्बा क्षेत्र से इन दिनों नाली बेल्ट में जा रहे पशुपालकों के कारण सडक़ो पर पशुओं कि लगी लम्बी कतारों से वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सैकड़ो किमी से चले आ रहे पशु व पशुपालक थककर चूर चूर हो जाते है. जिससे दूपहिया व भारी वाहनों के आने के बाद पशु व पशुपालक दोनों ही साईड नहीं दे पाते है. जिससे कई बार चालक व पशुपालकों में कहासुनी भी हो जाती है।