रक्तदान में इनका रहता अहम योगदान जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ टैब टैक्नीशियन इंजार्च पूर्ण शर्मा का कहना है कि चिकित्सालय में संत निरंकारी संस्था रक्त की अधिकांश पूर्ति रक्तदान शिविर लगाकर करती रही है। कोरोना संक्रमण काल में रक्त कोष फांउडेशन के रविंद्र बिश्नोई व चैनाराम सारस्वत की टीम ने कोरोना संक्रमण के दौर में रक्तदान में अहम भूमिका निभाई। फरवरी में 450 यूनिट रक्तदान करवाया है। जबकि प्रति माह अब औसत 100 से अधिक यूनिट रक्तदान करवा रहे हैं। इनके अलावा भी कई संस्थाएं हैं जो चिकित्सालय ब्लड बैंक में रक्तदान में अहम भूमिका निभा रही है।
रक्त में तत्व विभाजन की सुविधा चिकित्सालय में जल्द मिलेगी जिला चिकित्सालय में रक्त में तत्व विभाजन की मशीन की सुविधा नहीं है। इस कारण अभी तक सीधा हॉल ब्लड रोगियों के लगाया जाता है। ऐसे में रोगी के शरीर में ऐसे तत्व चढ़ जाते हैं जिसकी जरूरत नहीं होती है। इसके चलते रोगी विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है। हालांकि चिकित्सलाय में ब्लड कंपोनेंट यूनिट (तत्व विभाजन) लगाने की प्रक्रिया जल्द पूर्ण होने की उम्मीद है। कुछ मशीनों की आपूर्ति हो चुकी है और लाइसेंस व एक मशीन की आपूर्ति कंपनी निपट जाने की वजह से जल्दी होने वाली है।
ब्लड रिएक्शन की आशंका जिला चिकित्सालय में हॉल ब्लड चढ़ाने से गर्भवती और प्रसूता के रिएक्शन होने की शिकायतें कई बार आ चुकी है। ऐसे में रोगी के परिजन उन्हें रक्त चढ़ाने से डरने लगे हैं। चिकित्सालय के डॉक्टर्स के अनुसार ब्लड में आरबीसी, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा व डब्ल्यूबीसी आदि तत्व होते हैं। इसमें हर व्यक्ति को आवश्यकता अनुसार ही तत्व चढ़ाना होता है। तत्व विभाजन की मशीन की सुविधा नहीं होने से रोगी को ब्लड चढ़ाते समय उसकी जान पर बन आती है।
एक यूनिट में क्या-क्या
-25 से 50 हजार प्लेटलेट्स -200 से 250 एमएल प्लाज्मा -200 से 225 एमएल आरबीसी ब्लड टेस्ट से जानकारी शरीर में होने वाली अधिकतर बीमारियों के बारे में ब्लड टेस्ट से ही पता चलता है। इसके जरिए एचआईवी, एनीमिया, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, हैपेटाइटिस सी और बी, डायबिटीज, ब्लड कैंसर, किडनी, संबंधी रोग, थैलेसीमिया, डेंगू, मलेरिया और लीवर में तकलीफ आदि का पता लगाया जा सकता है।
ब्लड के प्रकार प्लेटलेट्स काउंट- यह शरीर में खून का थक्का बनाती है जब हमें कोई चोट लगती है तो खून के बहाव को प्लेटलेट्स रोकती है।
व्हाइड ब्लड सेल्स- यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखती है,जिनसे हम विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ पाते हैं।
रेड ब्लड सेल्स–यह शरीर में ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करती है। हर सेल्स में एक प्रोटीन होता है जिसे होमोग्लोबिन कहते हैं।
क्यों जरूरी है रक्त —जिस तरह से हमारी सांस लेने की प्रक्रिया चलती रहती है। उसी तरह से शरीर में भी ब्लड का फ्लो होता रहता है। रक्त हमारे शरीर के हर छोटे-बड़े अंग के लिए जरूरी है।
ब्लड में तत्व— ब्लड में आरबीसी,प्लेटलेट्स,प्लाज्मा,डब्ल्यूबीसी आदि तत्व होते हैं। कितना होना चाहिए हीमोग्लोबिन -पुरुषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 13.5 से 17.5
-महिलाओं में 12.0 से 15.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर -रक्त सुरक्षित रखा जा सकता है-35 से 42 दिन
-350 एमएल रक्त लिया जाता है
-आपके एक यूनिट रक्त से रोगियों की जरूरत पूरी हो सकती है।
-90 दिन बाद दूबारा रक्तदान किया जा सकता है। —————
(जैसा की जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक प्रभारी डॉक्टर हरविंद्र सिंह ने बताया)।
रक्तदान से जुड़ी सामान्य भ्रांतियां -जैसे रक्तदान से-कमजोरी और थकावट होगी,शरीर का संतुलन बिगड़ जाएगा, मोटापा आ जाएगा, सुइ चुभने का कष्ट होगा, घबहराहट हो जाएगी, पत्नी के लिए रक्त देने से, उससे पहले मृत्यु हो जाएगी, शायद मां न बन पाऊंगी, रक्त का दुरुपयोग होने की संभावना हो सकती है। विशेष आहार की आवश्यकता होगी, एक-दूसरे के लिए रक्तदान से पति-पत्नी रक्त संबंधी बन जाते हैं। मेरी मर्दानगी में कमी आ जाएगी। (रक्तदान से जुड़ी सभी भ्रांतियां निराधार हैं)।
krishan chauhan,
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रक्तदान कौर कर सकता है? – कोई भी 18 से 60 वर्ष का स्वस्थ्य व्यक्ति, 45 किलो या उससे अधिक वजन का व्यक्ति रकत में कम से कम 12.5 ग्राम हीमोग्लोबिन की मात्रा वाला व्यक्ति, रक्तदाब एवं शरीर ताप सामान्य हो,रक्तदान से छह महीने पूर्व तक कोई लंबी बीमारी न रही हो। रक्त की आपूर्ति कितने समय में हो जाती है?
-रक्तदान के 24 घंटे के अंदर शरीर रक्त में तरल अवयव की मात्रा पूरी कर लेता है। उसमें सभी तरह की कोशिकाएं पूरी तरह से पांच सप्ताह में तैयार हो जाती है। रक्तदान के बाद मेरे स्वास्थ्य को कोई लाभ होता है?
-हां बेशक, क्योंकि हर बार आपकी जांच होती है। नाड़ी गति, रक्त दवाब, लोहा मात्रा, रक्त ग्रुप, आधुनिक शौध कार्यों से सिद्ध हो चुका है कि साल में कम से कम एक बार रक्तदान करने वाले महिला और पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
साल दर साल रोगियों के लगाया रक्त
वर्ष रक्त 2016 7569
2017 7397 2018 8481
2019 9800 2020 7547
2021 3002 -चिकित्सालय में प्रतिदिन 30 से 35 यूनिट रक्त की खपत -एक महीना में रक्त की खपत- 800-1000 यूनिट
-जिला चिकित्सालय में रक्त स्टॉक-400 से 450 यूनिट
( राजकीय जिला चिकित्सालय का डाटा 13 जून 2021 तक) ——
एक यूनिट रक्तदान से किसी की जान बचाई जा सकती है और यह मानव भलाई का सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। इससे बढकऱ कोई सेवा और पुण्य नहीं है। जल्दी ही चिकित्सालय में तत्व विभाजन की मशीन स्थापित कर दी जाएगी। इसके बाद रोगियों को और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
-डॉ. बलदेव सिंह चौहान, पीएमओ, राजकीय जिला चिकित्सालय, श्रीगंगानगर।