ऐसे में जीआरपी और आरपीएफ पुलिस ने किसी भी तरीके से जेबकतरों को पकड़ कर घटनाओं पर अंकुश लगाने की बजाय ऐसा ‘एक्शन’ लिया, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। पुलिस ने वारदातों के लिए न केवल ‘लैला-मजनूं’ को दोषी करार बताया बल्कि अपनी खीझ मिटाने के लिए आनन-फानन में रेलवे स्टेशन परिसर से लैला-मजनूं का ‘वजूद’ ही मिटा दिया। रेलवे स्टेशन पर सौंदर्यकरण के लिए बनी लैला-मजनूं की दो पेंटिंग बनाई गई थी। पुलिस का तर्क है कि देखने वाला इन पेंटिंग को देखने में इतना तल्लीन हो जाता कि उसे सुध-बुध ही नहीं रहती और जेबकतरे उसकी जेब साफ कर जाते थे।
ये पेटिंग रेलवे स्टेशन पर स्टेशन अधीक्षक कार्यालय के बगल में व प्लेट फॉर्म से बाहर जाने वाले मुख्य रास्ते के पास बनी थी। जीआरपी थाने के पुलिसकर्मियों के अनुसार इन पेटिंग को देखने वालों की जेब कटने की शिकायत मिल रही थीं। पुलिसकर्मियों का कहना है कि यह दो पेटिंग फिल्मी पोस्टर की तरह काफी आकर्षक थी, जिनको देखने वाला खो जाता था और उसी दौरान उसकी जेब कट जाती थी। स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरों के अभाव में जेब कतरों को पकडऩा मुश्किल था। जीआरपी के पुलिसकर्मियों ने इस संबंध में आरपीएफ के पुलिसकर्मियों को सूचना दी। इसके बाद आरपीएफ पुलिस ने रेलवे अधिकारियों को इससे अवगत कराया था। इस पर तीन दिन पहले इन दोनों पेटिंग को सफेदी से पुतवा दिया गया।
अच्छी नहीं थी पेंटिंग
स्टेशन पर बनी लैला-मजनूं की दो पेटिंग अच्छी नहीं लग रही थी। इसलिए इनको पुतवा दिया गया है। इनके स्थान पर इतिहास से जुड़ी पेटिंग बनवाई जाएगी।
– दिनेश कुमार त्यागी, स्टेशन अधीक्षक, श्रीगंगानगर
शिकायतों के बाद पुतवाया
शिकायतें मिल रही थी कि स्टेशन पर बनी लैला मजनूं की पेटिंग को देखते समय यात्रियों की जेब कट रही थी। इस संबंध में आरपीएफ को भी अवगत कराया गया था। इसके बाद यह पेटिंग पोती गई है।
धन्नेसिंह राठौड़, थाना प्रभारी, जीआरपी, श्रीगंगानगर।