किसी फिल्मी कहानी से यह दास्तां कम नहीं, पांच दोस्तों ने खुद के लिए पब्लिकसिटी की बजाय गुपचुप तरीके से जरुरतमंदों को आटा पहुंचाने के लिए संकल्प लिया। इलाके में लॉक डाउन से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिवारों के घर पर राशन अड़तालीस घंटे मुश्किल से चला लेकिन लॉक डाउन की समय अवधि पूरी 21 दिन है। ऐसे में बसंती चौक एरिया में ऐसे जरुरतमंदों को उनके घर तक फ्री में आटे देने के लिए कवायद शुरू की। देखते देखते यह कवायद मुहिम का रूप ले लिया। ढोल बजाने वाले अधिकांश परिवारों के समक्ष जब दो समय का आटे नहीं मिला तो उनके लिए पांच दोस्तों ने यह कमी पूरी की। जस्सासिंह मार्ग पर बसंती चौक के पास एरिया को अधिक फोकस किया गया है। पांच दोस्तों ने ढोल बजाने वाले ढोली परिवारों, दिहाड़ी करने के लिए मजदूर परिवारों और रिक्शा चालकों को आटे की आपूर्ति कराने के लिए संकल्प लिया।
यह संकल्प सात सौ परिवारों के लिए वरदान बन गया। इन पांचों दोस्तों ने न फोटो खिंचवाई, न किसी से आर्थिक सहयोग लिया, न प्रचार किया। इन दोस्तों ने पूरे इलाके को स्कैन कर खुद के स्तर पर जरुरतमंद परिवारों की पहचान की ताकि पात्र परिवार को सहयोग किया जा सके। इसमें कृषि पंडित रहे बलवंत सिंह के पौत्र विक्रम जीत सिंह, ट्रेडर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विक्रम चितलांगिया, इटली से आए श्याम सुंदर सैनी, हरविन्द्र सिंह पोल्का और पूर्व पार्षद सुरेन्द्र स्वामी शामिल है।
इन दोस्तों ने वार्ड 27, 28, 29,30 के अलावा सद्भावनानगर में ऐसे जरुरतमंदों को सहायता दी है। प्रत्येक परिवार को दस दस किलो आटे की थैली दी गई है। अब तक तक 700 परिवारों को इन थैलियों को होम डिलीवरी दी गई है।
स्वामी ने बताया कि थैलियों के वितरण के दौरान किसी भी फोटो नहीं बनाई है। सिर्फ उस प्वाइंट की वीडियो बनाई जहां आटे की थैलियों को विभिन्न कारों में डालकर होमडिलीवरी दी जा रही है, इस वीडियो को दिखाने का यह है कि ताकि उनके कामकाज के सिस्टम को अन्य संगठन या स्वयंसेवी संस्थाएं देख सके।