पत्रिका ने जब इस मामले में पड़ताल की तो यह तथ्य सामने आया कि शहर के कुछ पेट्रोल पंपों पर पूर्व में पीयूसी जारी किए जा रहे थे। परिवहन विभाग ने पीयूसी के काम को पूर्णतया ऑनलाइन कर दिया। पेट्रोल पंप संचालकों ने बकायदा अपने यहां कंप्यूटर सिस्टम भी लगाया है। जिले में दो मोबाइल वैन है, जिनके जरिए पीयूसी प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। शहरी क्षेत्र के लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। इस वजह से हजारों वाहन स्वामियों ने अपने वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र नहीं बनवाए हैं।
निर्धारित अवधि गुजरने के बाद एक माह तक दोपहिया वाहनों पर 200 रुपए एवं एक माह से अधिक समय होने पर 500 रुपए तथा चौपहिया वाहनों पर 1 माह तक 500 रुपए और एक माह से अधिक समय होने पर एक हजार रुपए पैनल्टी का प्रावधान है।
जिला मुख्यालय पर दो मोबाइल वैन और नेतेवाला में एक फिटनेस सेंटर की ओर से पीयूसी जारी करने का काम किया जा रहा है। कुछ पेट्रोल पंप संचालकों ने पीयूसी के लिए अपने लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं करवाया है जिससे यह समस्या आई है।
– जुगल किशोर माथुर, जिला परिवहन अधिकारी, श्रीगंगानगर
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