चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक त्रिलोक वर्मा ने बताया कि पुरानी आबादी में एक व्यक्ति ने अपने बच्चों को मानसिक रोगी पत्नी की प्रताडऩा से मुक्त कराने के लिए लिखित परिवाद दिया था, जिसमें उसने बताया कि उसकी सोलह साल की बेटी और तेरह साल के बेटे को मांग की प्रताडऩा से मुक्त कराया जाए। पति प्राइवेट नौकरी करता है और ज्यादातर घर से बाहर ही रहता है। उसकी पत्नी न तो बच्चों को खाना देती है और न ही स्कूल भेजती है। घर की हालत ऐसी है की कभी मकान की छत गिर सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है।
परिवाद मिलने पर बाल कल्याण समिति अध्यक्ष, तपोवन चाइल्डलाइन के परियोजना निदेशक बच्चों की हालत जानने के लिए बच्चों के घर गए तो देखा कि घर का सभी सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। बर्तनों में गन्दगी जमी थी। बिजली का कनेक्शन कटा हुआ है। बच्चों ने बताया कि खाना नहीं खाया है। भूख लगती है तो लंगर से खाना ले आते हैं। परिवादी पिता ने बताया कि जब वह बच्चों को स्कूल भेजने का कहता है तो मानसिक विमंदित पत्नी लड़ाई को उतारू हो जाती है। जेब में से पैसे निकालकर नाली में डाल देती है।
टीम ने बच्चों व उसके पिता के लिखित बयान लिए। टीम बच्चों को मुक्त कराने के लिए शुक्रवार को पहुंची तो मानसिक विमंदित महिला ने झगड़ा शुरू कर दिया। पुरानी आबादी थाने की दो महिला पुलिस कर्मियों की सहायता से बच्चों को मुक्त कराया गया। बच्चों को विवेक आश्रम भेजा गया है। टीम में बाल कल्याण समिति अध्यक्ष अधिवक्ता लक्ष्मीकांत सैनी, सदस्य जगदीश चंदेल, प्रदीप धेरड़, प्रभा शर्मा, तपोवन चाइल्डलाइन परियोजना निदेशक महेश पेड़ीवाल और पुरानी आबादी थाना पुलिस मौजूद थी।