पहले चरण में निर्माण के संबंध में राज्य के विधि एवं विधिक कार्य विभाग के संयुक्त शासन सचिव पुरुषोत्तम लाल सैनी ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को प्रस्ताव भिजवाया है। नई कोर्ट बिल्डिंग पुरानी शुगर मिल की 18 बीघा भूमि पर बनाई जाएगी। विधि विभाग के संयुक्त शासन सचिव के अनुसार 8 करोड़ रुपए का बजट राज्य निधि और 12 करोड़ रुपए केन्द्रीय सहायता की ओर से स्वीकृत की गई है। कुल मिलाकर 20 करोड़ रुपए का बजट प्रथम चरण में भवन निर्माण पर खर्च किया जाएगा।
पुरानी शुगर मिल की भूमि पर मिनी सचिवालय के लिए राज्य सरकार ने अलग से बजट मंजूर कर रखा है। वहां 18 बीघा कोर्ट बिल्डिंग के लिए आवंटित की गई है। लेकिन इस भूमि का मालिकाना हक अभी न्याय प्रशासन को नहीं दिया गया है, यह प्रक्रिया अभी अंतिम दौर में है।
हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर और मनोज गर्ग प्रस्तावित नई कोर्ट बिल्डिंग स्थल का दौरा कर चुके है। इन दोनों जस्टिस की रिपोर्ट के आधार पर ही राजस्थान हाईकोर्ट के आग्रह पर राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव बनाकर भिजवाया है।
नई कोर्ट बिल्डिंग बनने से जिला एवं सत्र न्यायालय, एनडीपीएस कोर्ट, लेबर कोर्ट, एसीबी कोर्ट, फैमिली कोर्ट, पोक्सो कोर्ट संख्या एक, पोक्सो कोर्ट संख्या दो, एडीजे संख्या एक, एडीजे संख्या दो, महिला उत्पीडऩ एवं दहेज प्रकरणों की स्पेशल कोर्ट, एससीएसटी प्रकरणों की स्पेशल कोर्ट, किशोर न्याय बोर्ड कोर्ट, सीजेएम कोर्ट, एसीजेएम कोर्ट संख्या एक, एसीजेएम कोर्ट संख्या दो, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग कोर्ट, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग कोर्ट संख्या-एक, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग कोर्ट संख्या-दो, विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट एनआई एक्ट संख्या-एक, विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट एनआई एक्ट संख्या-दो और ग्राम न्यायालय एक ही छत के नीचे संचालित हो सकेगी।
पिछले एक दशक से सात नई कोर्ट खुल चुकी है। एेसे में गंगासिंह चौक के पास मौजूदा कोर्ट कैम्पस संकरा हो गया है। यहां तक कि पोस्को कोर्ट संख्या दो खुलने के बावजूद कोर्ट भवन नहीं है। इस कोर्ट के पीठासीन अधिकारी को दो बार कोर्ट रूम बदलना पड़ा है।
यही स्थिति अन्य कोर्ट की है। ग्राम न्यायालय सिविल लाइंस एरिया में संचालित हो रही है। जबकि एनडीपीएस कोर्ट, फैमिली कोर्ट, एसीबी कोर्ट और एमएसीटी कोर्ट को पुराने राजकीय जिला चिकित्सालय भवन में संचालित की जा रही है। वहीं किशोर न्याय बोर्ड कुंज विहार में संचालित है। चार जगह कोर्ट खुलने से अधिवक्ताओं और पक्षकारों को एक से दूसरी कोर्ट में आवाजाही करने में समस्या आ रही है।
बार संघ के अध्यक्ष विजय कुमार रेवाड़ का कहना है कि नई कोर्ट बिल्डिंग के साथ साथ वकीलों के लिए भी चैम्बर का निर्माण हो पाएगा। इससे वकीलों को बैठने की सुविधा मिल सकेगी। रेवाड़ का दावा है कि मिनी सचिवालय के पास नई कोर्ट बिल्डिंग से अदालती कामकाज से जुड़े हर वर्ग को फायदा मिल सकेगा।
कोर्ट मैनेजर सुमित शर्मा ने बताया कि जिला मुख्यालय पर नई कोर्ट बिल्डिंग निर्माण के लिए तीन न्यायिक अधिकारियों की कमेटी की देखरेख में होगा। इसके लिए एडीजे, सीजेएम और कोर्ट मैनेजर को अधिकृत किया हुआ है। यह कमेटी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से समन्वय बनाकर कोर्ट कॉम्पलैक्स निर्माण को पूरा करवाएगी।