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श्री गंगानगर

अनुमति नहीं, फिर भी सिखा रहे ड्राइविंग

-परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की मेहरबानी

श्री गंगानगरMay 17, 2018 / 09:10 am

pawan uppal

driving school
श्रीगंगानगर.

शहर के विभिन्न हिस्सों में जगह-जगह महज एक सप्ताह में ड्राइविंग सिखाने के दावों के साथ लोगों को ठगा जा रहा है। हकीकत तो यह है कि ज्यादातर ड्राइविंग स्कूलों के पास कार चलाना सिखाने के लिए सरकारी अनुमति ही नहीं हैं। नियम और कानूनों को दरकिनार कर निजी कारों में युवाओं को स्टेयरिंग थमा कर इन वाहनों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। इससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। तथाकथित ड्राइविंग स्कूलों के नाम पर खटारा हो चुकी कारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सीखने के काम आने वालों कारों का न तो इंश्योरेंस और न ही इनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट है।
हकीकत में इन मोटर ड्राइविंग स्कूल का न तो पंजीकरण है और न ही इन्होंने परिवहन विभाग के प्रादेशिक कार्यालय से इसकी अनुमति ली गई है। शहर की कई छोटी गलियों में भी लोगों ने ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोल रखे हैं। दो दर्जन से अधिक तथाकथित ड्राइविंग स्कूलों में 2500 से 4000 रुपए लेकर ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जाती है। वाहन चलाना सीखने वालों द्वारा सड़क सुरक्षा और ड्राइविंग के लिए बने कायदे-कानून का पालन न किए जाने से सरकार की भी मंशा पूरी नहीं हो पा रही। शहर में परिवहन विभाग की ओर से अनुमति लेकर ड्राइविंग सिखाने के महज दो स्कूल है।

कौन खोल सकता है ड्राइविंग स्कूल?
ड्राइविंग स्कूल खोलने के लिए परिवहन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके लिए कई शर्तों को पूरा करने के अलावा बैंक गारंटी भी देनी पड़ती है। ड्राइविंग स्कूल के संचालक का स्नातकोतर होना जरूरी है। ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले संचालक की आर्थिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए और उसे मोटर मैकेनिकल ऑटो मोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होल्डर होना जरूरी है। ट्रेनिंग स्कूल में सभी वाहन टैक्सी में रजिस्ट्रर्ड होंगे। इन वाहनों का बीमा, फिटनेस और टैक्स जमा होना चाहिए। ड्राइविंग स्कूल संचालक के पास ऑफिस का पूरा सेटअप होना चाहिए। पे्रक्टिकल और थ्योरी करवाने के लिए जरूरी उपकरण भी हो।

ड्राइविंग स्कूल खोलने के लिए परिवहन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके लिए कई शर्तों को पूरा करने के अलावा बैंक गारंटी भी देनी पड़ती है। ड्राइविंग स्कूल के संचालक का स्नातकोतर होना जरूरी है। ड्राइविंग स्कूल चलाने वाले संचालक की आर्थिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए और उसे मोटर मैकेनिकल ऑटो मोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होल्डर होना जरूरी है। ट्रेनिंग स्कूल में सभी वाहन टैक्सी में रजिस्ट्रर्ड होंगे। इन वाहनों का बीमा, फिटनेस और टैक्स जमा होना चाहिए। ड्राइविंग स्कूल संचालक के पास ऑफिस का पूरा सेटअप होना चाहिए। पे्रक्टिकल और थ्योरी करवाने के लिए जरूरी उपकरण भी हो।

परिवहन विभाग में महज दो स्कूलों के पास कार ड्राइविंग सिखाने के लाइसेंस हैं। शहर में ज्यादातर फर्जी ड्राइविंग स्कूल हैं। इनके खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
हेतराम सिला, कार्यवाहक जिला परिवहन अधिकारी, श्रीगंगानगर

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