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श्री गंगानगर

SriGanganagar रोगियों की जान खतरे में, बिना पंजीयन संचालित हो रही लैब

Patients’ lives in danger, labs operating without registration- जांच करने की बजाय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने साधी चुप्पी
 

श्री गंगानगरJun 24, 2022 / 01:13 pm

surender ojha

SriGanganagar रोगियों की जान खतरे में, बिना पंजीयन संचालित हो रही लैब

SriGanganagar रोगियों की जान खतरे में, बिना पंजीयन संचालित हो रही लैब

SriGanganagar श्रीगंगानगर। इलाके में रोगियों की विभिन्न जांच कराने के लिए बनी लैबों में प्र शि क्षित स्टाफ नहीं है। बिना डिप्लोमाधारकों से संचालित इन लैबों की जांच से कई बार रोगियों को एक ही रोग की अलग अलग रिपोर्ट मिल रही है। इससे रोगियों के रोग के बारे में भ्रम की िस्थति रहती है। यहां तक कि कई लैबों का संचालन बिना अनुमति से किया जा रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नियम-कायदों को दरकिनार कर अवैध रूप से संचालित इन लैबों से मोटी फीस की वसूली का खेल चल रहा है।
इन अनाधिकृत लैबों की जांच की जिम्मेदारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की है लेकिन विभाग ने अपने स्तर पर जांच की प्रक्रिया नहीं अपनाई है। इस कारण पूरे जिले में जगह जगह आए दिन लैब खुलने का सिलसिला चल रहा है। यहां तक कि क्लिनिकल स्टेबलिस्टमेंट एक्ट 2010 के तहत लैब पंजीकृत तक नहीं है। इलाके में ऐसे लैब और जांच केन्द्र धड़ल्ले से संचालित हो रहे है।
कई चिकित्सक अपने चेहतों की इन अना धिकृत लैब से जांच करवाने के लिए रोगियों और उनके परिजनों पर दबाव डाल रहे है। जिले में प्राइवेट पैथोलॉजी लैब के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने 45 लाइसेंस जारी कर रखे है। जबकि जिले भर में 125 से ज्यादा प्राइवेट लैब संचालित हो रही है।
वहीं अनाधिकृत प्राइवेट छोटी लैब की संख्या तो सात सौ पार हो चुकी है जिनमें ब्लड, यूनिरल, थूक की चुनिंदा जांचें है। सरकारी स्तर पर लैब की संख्या जिले भर में 84 है। कई प्राइवेट लैब संचालकों ने कार्रवाई से बचने के लिए डिप्लोमाधारकों के नाम लिखकर सेटेलाइट कनेक्शन सैंटर खोल रखे है।
पैथोलॉजी लैब को चलाने के लिए एमबीबीएस योग्यताधारी चिकित्सक होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कोई गैर योग्यता धारक व्य क्ति पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकता है। चिकित्सक के हस्ताक्षर नहीं होने पर रिपोर्ट को गलत माना जाता है।
राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से मान्यता प्राप्त कॉलेज से डिग्रीधारक, कम से कम दो डीएमएलटी होल्डर टैक्नी शियन व एक्सरे के लिए डिप्लोमा इन डीआरटी होना जरूरी है। लाइसेंस नहीं होने पर सीज की कार्रवाई की जा सकती है। वहीं पचास हजार से पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
रजिस्टर्ड लैब टैक्नी शियन व रेडियोग्राफर संघ के अंकुश वर्मा और इन्द्राज ने सीएमएचओ श्रीगंगानगर को लि खित में एक महीने पहले शिकायत की थी। इसमें बताया गया कि जिले में काफी निजी स्वास्थ्य केन्द्र है जहां बिना रजिस्ट्रेशन व डिप्लोमा और डिग्री के लैब टैक्नीशियन व रेडियोग्राफर कार्य कर रहे है।
इस कारण गलत रिपोर्ट से मरीजो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। जिन युवाओं के पास डिग्री है वे बेरोजगार घूम रहे है। ऐसे में फर्जी संस्थानों व कार्यरत कार्मिको पर कार्रवाई की जाएं ताकि एईआरबी के नियमों की पालना होने के साथ साथ डिप्लोमाधारकों को रोजगार मिल सके।
प्रदेश के कई जिलो में सीएमएचओ की अगुवाई में अना धिकृत रूप से संचालित लैब के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इन कार्रवाई से ऐसे अस्पतालों और लैबों की जांच की गई जिनके पास चिकित्सा प्रैक्टिस का कोई आवश्यक प्रमाण-पत्र व डिग्री नहीं था। इसके विपरीत यहां श्रीगंगानगर जिले में ऐसे लैब और अना धिकृत प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही। हालांकि दो साल पहले चिकित्सा विभाग की टीम ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान के तहत सख्ती जरूर दिखाई थी लेकिन कोरोनाकाल की आड़ में जांच करने की मुहिम पर ब्रेक लगा दी गई।
इस बीच, सीएमएचओ डा. गिरधारीलाल मेहरड़ा ने बताया कि क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 में बनने के बाद पूरी तरह से प्रदेश में लागू नहीं किया गया है। आधा अधूरा एक्ट लागू होने से अभी तक िस्थति साफ नहीं है। अधिकांश लैब के संचालकों के पास डिग्री राजस्थान के बाहरी राज्यों से की हुई है लेकिन राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल की गाइड लाइन के अनुरुप बाहरी डिप्लोमाधारकों को लाइसेंस जारी नहीं किए जा सकते। ऐसे में सरकार ने अभी तक यह मार्गदर्शन नहीं दिया है कि बाहरी राज्यों के डिप्लोमाधारकों की ओर से संचालित लैब को अधिकृत माना जाए या अनाधिकृत।

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