बेटों ने किया बेदखल तो यहां पहुंचा
पुरानी आबादी वार्ड 10 निवासी 76 वर्षीय मोहम्म्द फारूक रंगाई का काम करता था लेकिन उसके दो बेटों ने उसे बेदखल कर दिया। जब उसने पुरानी आबादी पुलिस को भी शिकायत की तो सुनवाई नहीं हुई। पत्नी को पहले ही तलाक दे चुके इस बुजुर्ग ने इस वृद्धाश्रम को अपना डेरा मान लिया है। वह बात करता करता मौजूदा सिस्टम को कोसने लगता है। उसका कहना है कि बेटे और बहुओं ने उसे ही बेदखल कर दिया तो वह क्या करता।
बुजुर्गों में आकर ऐसा रमा कि चार साल बीते
मीरा चौक निवासी किशनलाल की आयु 65 साल हो चुकी है। वह चार साल से इस वृद्धाश्रम में रह रहा है। उसके तीन बेटे हंै, तीनों अपनी अपनी गृहिस्थी में है। अपनी मर्जी से यहां आया तो बुजुर्गों को देखकर उनके साथ यहीं रहने लगा। लक्कड़मंडी में सैल्समैन रह चुके किशनलाल का कहना है कि वह लेखा कार्य भी करता है, आश्रम के हिसाब से किताब में सहयोगी के रूप में अपनी सेवाएं देता है।
यह तो जिन्दगी
का मेला साब
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के उरई निवासी रामसिंह की आयु 94 साल हो चुकी है। उसकी पत्नी और एक बेटे की मौत के बाद भी उसने पुरानी आबादी सब्जी मंडी रेहड़ी लगाना नहीं छोड़ा लेकिन रिश्तेदारों ने कभी संभाला नहीं तो वह अकेला पड़ गया। बीमार ज्यादा रहने लगा तो उम्र के इस पड़ाव में कहां जाएं ऐसे में किसी ने उसे वृद्धाश्रम में पहुंचा दिया। भजन गाते गाते बोला कि साब, जिन्दगी का यह मेला है..सब कुछ यही रह जाना है..।
पुरानी आबादी वार्ड 10 निवासी 76 वर्षीय मोहम्म्द फारूक रंगाई का काम करता था लेकिन उसके दो बेटों ने उसे बेदखल कर दिया। जब उसने पुरानी आबादी पुलिस को भी शिकायत की तो सुनवाई नहीं हुई। पत्नी को पहले ही तलाक दे चुके इस बुजुर्ग ने इस वृद्धाश्रम को अपना डेरा मान लिया है। वह बात करता करता मौजूदा सिस्टम को कोसने लगता है। उसका कहना है कि बेटे और बहुओं ने उसे ही बेदखल कर दिया तो वह क्या करता।
बुजुर्गों में आकर ऐसा रमा कि चार साल बीते
मीरा चौक निवासी किशनलाल की आयु 65 साल हो चुकी है। वह चार साल से इस वृद्धाश्रम में रह रहा है। उसके तीन बेटे हंै, तीनों अपनी अपनी गृहिस्थी में है। अपनी मर्जी से यहां आया तो बुजुर्गों को देखकर उनके साथ यहीं रहने लगा। लक्कड़मंडी में सैल्समैन रह चुके किशनलाल का कहना है कि वह लेखा कार्य भी करता है, आश्रम के हिसाब से किताब में सहयोगी के रूप में अपनी सेवाएं देता है।
यह तो जिन्दगी
का मेला साब
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के उरई निवासी रामसिंह की आयु 94 साल हो चुकी है। उसकी पत्नी और एक बेटे की मौत के बाद भी उसने पुरानी आबादी सब्जी मंडी रेहड़ी लगाना नहीं छोड़ा लेकिन रिश्तेदारों ने कभी संभाला नहीं तो वह अकेला पड़ गया। बीमार ज्यादा रहने लगा तो उम्र के इस पड़ाव में कहां जाएं ऐसे में किसी ने उसे वृद्धाश्रम में पहुंचा दिया। भजन गाते गाते बोला कि साब, जिन्दगी का यह मेला है..सब कुछ यही रह जाना है..।