इसी दौरान कुछ लोगों ने विमान के पास खड़े होकर मोबाइल फोन से एक-दूसरे की फोटो खेंचने का सिलसिला शुरू किया तो ऐसा करने की होड़ मच गई। सेल्फी के शौकीन विमान के आगे- पीछे और दाएं-बाएं खड़े होकर अलग-अलग अंदाज में सेल्फी ले रहे थे और हाथोहाथ उस सेल्फी को वाट्स एप ग्रुपों और फेसबुक पर डाल कर खुद को जहाज का यात्री साबित करने में जुटे थे। फोटो के लिए कई लोगों ने मालाओं का सहारा लिया।
फर्क तब और अब
उद्घाटन समारोह में मौजूद लालगढ़ जाटान के बुजुर्गों ने बातचीत में बताया कि 1960 में यहां से हवाई सेवा शुरू हुई थी तब कई दिनों तक आसपास के गांवों से लोग उसे देखने के लिए आते रहे। लेकिन डर के कारण हवाई पट्टी के पास कोई नहीं जाता था। उस समय यह इलाका खाली था, इसलिए दूर से ही विमान को चढ़ते-उतरते देख वापस लौट जाते थे। बुजुर्गों ने बताया कि तब और अब में फर्क यह है कि छोटे-छोटे बच्चे तक विमान को देखने के लिए हवाई पट्टी पर घूम रहे हैं और उनके चेहरे पर डर का कोई निशान नहीं।