मुख्य अभियंता बीपी नागर ने बताया कि विभिन्न प्रोटेक्शन की जांच के बाद इकाई को मंगलवार सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर सिंक्रोनाइज कर बिजली उत्पादन शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व गत सोमवार को इकाई के सिंक्रोनाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके तहत पहले इकाई के बॉयलर में 72 घंटे तक ऑयल ईंधन का इस्तेमाल किया गया।इसके बाद धीरे धीरे करके तीन दिन में इकाई की तीन कोयला मिल्स से कोल ईंधन का उपयोग शुरू किया गया। बॉयलर से बनने वाली स्टीम में सिलिका आदि के निर्धारित मानक आने के बाद रविवार शाम चार बजकर 16 मिनट पर सातवी सुपर क्रिटिकल इकाई की टरबाईन ने घूमना शुरू किया। टरबाईन के तीन हजार आरपीएम पर पहुँचने के बाद टरबाईन सहित अन्य उपकरणो के पैरामीटर्स की जांच की गई । इसके बाद मंगलवार सुबह इकाई को सिंक्रोनाइज किया गया।
जानकारी के अनुसार रविवार शाम 4 बजकर 16 मिनट पर इकाई की टरबाईन के रोटेशन शुरू होने के बाद शाम तक टरबाईन के तीन हजार आरपीएम पर आने पर टरबाइन सहित अन्य उपकरणों के प्रोटेक्शन जांचने के बाद सोमवार दोपहर तक इकाई को सिंक्रोनाइज किया जाना था, लेकिन प्रथम बार सिक्रोनाइज हो रही 660 मेगावाट की सातवीं सुपर क्रिटिकल इकाई में आई तकनीकी अड़चन के कारण इकाई सिंक्रोनाइज नही हो सकी थी।
सिंक्रोनाइज होते ही गूंजी तालियां
मंगलवार सुबह एक बजकर 41 मिनट पर मुख्य अभियंता बीपी नागर, उपमुख्य अभियंता केसर सिंह सहित भेल के महाप्रबंधक एमआर दास की देखरेख में ज्यो ही इकाई को सिंक्रोनाइज कर बिजली उत्पादन शुरू किया गया। पूरा नियंत्रण कक्ष तालियों की गडगड़़ाहट से गूंज गया। मुख्य अभियंता सहित अधिकारियो ने एक दूसरे को बधाई दी और मिठाई खिलाई। मुख्य अभियंता ने कहा कि ये उत्पादन निगम, भेल, सहित अन्य निर्माण कम्पनियो के साझा प्रयासों से ही संभव हो सका है।
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य अभियंता शंकर लाल छिम्पा, अधीक्षण अभियंता एस पी बंसल, एमसी जांगिड़ सहित भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेट के अधिकारी तथा परियोजना के अभियन्ता एवम तकनीकी कर्मचारी उपस्थित थे।